कलीसिया ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रार्थना की अपील की
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
अमरीका, मंगलवार, 23 जून 2020 (रेई)- "धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का आधार मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा है। धार्मिक अधिकार, मानव अधिकार है जो अन्य सभी अधिकारों की गारांटी देता है। शांति और रचनात्मक सहअस्तित्व संभव हो सकता है यदि धार्मिक स्वतंत्रता को मुक्त रूप से सम्मान दिया जाए।" उक्त बातें मीअमी के महाधर्माध्यक्ष एवं अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन धार्मिक स्वतंत्रता विभाग के अध्यक्ष थॉमस जी. वेनस्की ने धर्माध्यक्षों के वेबसाईट पर एक बयान जारी कर कही है। बयान में विश्वासियों को निमंत्रण दिया गया है कि वे धार्मिक स्वतंत्रता सप्ताह में भाग लें जिसकी शुरूआत 22 जून को हुई।
धार्मिक स्वतंत्रता सप्ताह का समापन 29 जून को संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व के दिन होगा। इसकी विषयवस्तु है "सभी की अच्छाई के लिए" धर्माध्यक्षों ने काथलिक को प्रोत्साहन दिया है कि वे धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रार्थना करें एवं उसका समर्थन करें जिससे पूरी दुनिया परेशान है।
कहा गया है कि हमारे पश्चिमी उदार लोकतंत्रों में - सामान्य रूप से धर्म के खिलाफ भेदभाव और विशेष रूप से, काथलिक ईसाई धर्म के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है - शायद अधिक परिष्कृत और कम हिंसक तरीकों से।
राजनीतिक विश्लेषक और मानवाधिकार रक्षक - धर्म को अपने एजेंडे में शामिल करते हैं लेकिन उनमें से अधिकांश 'सहिष्णुता' पर जोर देते हैं मानो कि धर्म केवल संघर्ष का स्रोत है अथवा धर्म के बारे व्यक्तिगत चुनाव के रूप में बात करते हैं मानो कि धर्म केवल व्यक्तिगत आस्था है और इसका कोई सामाजिक परिणाम नहीं होता।
हालांकि, भाषण की स्वतंत्रता न केवल बोलने के अधिकार पर निर्भर है जो आपके मन में है बल्कि समाचार पत्र, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, राजनीतिक पार्टी और अन्य संगठनों का भी अस्तित्व है जिससे नागरिक समाज बनता है। अतः धार्मिक स्वतंत्रता के अंतर्गत उन संस्थाओं की सुरक्षा भी शामिल है जो व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से धर्म मानने में मदद देते हैं।
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