सेओलः शांति मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं, कार्डिनल सूजूँग
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
सेओल, शुक्रवार, 26 जून 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो): दक्षिण कोरिया के सेओल स्थित काथलिक महागिरजाघर में कोरियाई युद्ध की 70 वीं बरसी की स्मृति में ख्रीस्तयाग अर्पित कर सेओल के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल एन्ड्रयू योम-सूजूँग ने कहा कि यथार्थ शान्ति, जिसकी हम सब अभिलाषा रखते हैं, बहुत ही मुश्किल है, लेकिन असम्भव नहीं।
उत्तर एवं दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध को 70 वर्ष बीत गये हैं, किन्तु अभी भी पुनर्मिलन नहीं हो पाया है। कार्डिनल योम सूजूँग ने स्मरण दिलाया कि सन् 1965 से दक्षिण कोरिया की कलीसिया पुनर्मिलन के लिये प्रतिवर्ष 25 जून को प्रार्थना को समर्पित दिवस मनाती रही है।
प्रार्थना शान्ति का अस्त्र
कार्डिनल योम सूजूँग ने कहा कि प्रार्थना शान्ति का सर्वाधिक शक्तिशाली अस्त्र है। उन्होंने कहा, "क्षमा की संस्कृति का निर्माण कर, न्याय अधिक मानवीय, तथा शांति अधिक स्थायी हो सकेगी।"
कोरियाई युद्ध में लगभग तीस लाख कोरियाई लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें प्रायद्वीप ने, 1950 से 1953 तक, अपनी कुल आबादी का 10% खो दिया था। संघर्ष के दौरान, संयुक्त राज्य अमरीका के भी कम से कम 35,000 सैनिक मारे गये थे। 1953 के जुलाई में युद्धविराम पर हस्ताक्षर किये जाने के बावजूद कोरियाई प्रायद्वीप, तकनीकी रूप से, अभी भी युद्ध की स्थिति में है।
क्षमा दान की आवश्यकता
ख्रीस्तयाग प्रवचन में कार्डिनल योम सूजूँग ने कहा कि जब क्षमा की राजनीति का प्रसार होता है तब न्यायसंगत समाज का भी निर्माण होता है तथा शान्ति की आशा मज़बूत होती है। उन्होंने प्रार्थना की कि समस्त राजनीतिज्ञ "व्यक्तिगत स्वार्थ, पार्टी और राष्ट्रीय हितों से परे" जायें तथा उत्तर और दक्षिण कोरिया के सामान्य कल्याण के मद्देनज़र शांति हेतु प्रतिबद्ध रहें।
उत्तर कोरिया एवं दक्षिण कोरिया
उत्तरी कोरिया की आबादी लगभग पचास लाख है। इस देश से कई मौकों पर मानवाधिकारों के अतिक्रमण की ख़बरें आती रहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ की जाँचपड़ताल की रिपोर्ट के अनुसार, मानवता के खिलाफ अपराधों में दासता, यातना, कारावास, बलात गर्भपात और जानबूझकर लंबे समय तक विरोधियों को भूखा रखा जाना उत्तर कोरिया में आम बात है।
इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया ने, कोरियाई युद्ध के बाद से, महत्वपूर्ण आर्थिक विकास का अनुभव किया है। काथलिक कलीसिया में भी पिछले दो दशकों में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। कोरियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अनुसार, दक्षिण कोरिया में, आज, काथलिक धर्मानुयायियों की संख्या लगभग 58 लाख है।
कोरियाई युद्ध से पहले उत्तर कोरिया में लगभग 50,000 काथलिक और इससे दुगुने प्रॉटेस्टेन्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हुआ करते थे। साथ ही, उत्तर-पूर्व एशिया में, प्योंगयान शहर, ख्रीस्तीय धर्म का केन्द्र तथा "पूर्व का जैरूसालेम" माना जाता था।
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