रखाईन प्रांत के रोहिंग्या लोग रखाईन प्रांत के रोहिंग्या लोग 

रोहिंग्या शिविरों में कोविद ने दिया दस्तक, कारितास बांग्लादेश

बांग्लादेश के काथलिक कलीसिया के सामाजिक और विकास शाखा कारितास ने कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों में गंभीर अस्वस्थता और तंग परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की। रोहिंग्या शरणार्थी कोविद -19 महामारी के लिए बेहद असुरक्षित हो गये हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कॉक्स बाजार, शनिवार 27 जून 2020 (वाटिकन न्यूज) :  बांग्लादेश में कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों में कोविद-19 के संक्रमण पाये जाने के बाद शरणार्थी बेहद असुरक्षित और डर के माहौल में जी रहे हैं। कॉक्स बाजार में स्थित कारितास बांग्लादेश अधिकारी इमानुएल चायान बिस्वास ने कहा, “कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के प्रमुख उपायों में से एक है सामाजिक दूरी। यदि आप एक शरणार्थी शिविर में रहते हैं, तो आपके पास ऐसा करने के लिए जगह ही नहीं है। ”

उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में, रोहिंग्या समुदाय अस्थिर आश्रयों में न केवल एक कमरे में दस या उससे भी अधिक लोगों के साथ भीड़भाड़ में रहने की चुनौती का सामना करते हैं, बल्कि वे सामूहिक शौचालय का उपयोग करते हैं और वहाँ पानी की प्रयाप्त सुविधा भी नहीं है। जहां उन्हें भोजन प्राप्त होता है वहाँ भी सामाजिक दूरी बनाये रखना कठिन है। वे कोरोना वायरस के प्रसार के खिलाफ प्रभावी रोकथाम प्रदान करने के लिए उचित दूरी बनाये रखना या स्वच्छता उपायों का पालन नहीं कर सकते हैं।

कोविद -19 का पहला मामला रोहिंग्या शिविरों में 14 मई को पाया गया था। वर्तमान में कम से कम 46 मामलों की पुष्टि हुई है और वायरस से 5 लोगों की मौत हुई है, लेकिन परीक्षण क्षमता सीमित होने के कारण वास्तविक संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है।

चार बार पीड़ित

बिस्वास ने कहा, रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए कोविद महामारी आपातकालीन स्थितियों में से एक है जो उनके जीवन पर हावी है। परंतु "बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या लोग चार तरह से पीड़ित हैं।"

सबसे पहले तो  वे अपनी मातृभूमि म्यांमार में हिंसक और दर्दनाक उत्पीड़न के शिकार हैं, दूसरा  पेचिश और चेचक जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों के शिकार हैं तीसरा बांग्लादेश में बार-बार आने वाले  चक्रवात और मॉनसून में बारिश याने जलवायु आपातकाल के शिकार हैं और अब वे वैश्विक महामारी के शिकार भी हैं जो बांग्लादेश पर असर डाल रहा है।”

बांग्लादेश में दस लाख से अधिक रोहिंग्या

बांग्लादेश में अनुमानित 1.1 मिलियन रोहिंग्या शरणार्थी हैं। विद्रोही हमलों की एक श्रृंखला के खिलाफ अगस्त 2017 में म्यांमार के रखाइन राज्य में क्रूर सैन्य हमले के बाद अधिकांश रोहिंग्या अपना देश छोड़कर अपने पड़ोसी बांग्लादेश भाग गए।

रोहिंग्या, जो ज्यादातर मुस्लिम हैं, इन्होंने 1982 के बाद से नागरिकता से वंचित होने के साथ-साथ बौद्ध-बहुसंख्यक म्यांमार में भेदभाव का सामना किया है।

अपर्याप्त स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा, जागरूकता

कारितास बांग्लादेश अधिकारी बिस्वास ने कहा कि शिविर में चिकित्सा सुविधाएं आबादी के आकार को देखते हुए अपर्याप्त हैं। ज्यादातर मामलों में केवल प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं ही उपलब्ध हैं। पहले कोविद-19 के गंभीर रूप से बीमार रोहिंग्या को उखिया जनरल अस्पताल या कॉक्स बाजार मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल सकता था। अब ये उपचार सुविधाएं केवल स्थानीय बांग्लादेशियों के लिए खुली हैं।

विश्वास ने कहा कि अभी तक बहुत कम लोगों को कोविद -19 के बारे में उचित जानकारी है। कारितास बांग्लादेश, पूरे देश में और कॉक्स बाज़ार शिविरों में काम कर रहा है ताकि हजारों लोगों को कोरोना रोकथाम के संदेश मिल सकें, साथ ही साथ हजारों परिवारों को साबुन और स्वच्छता किट दिए जा सकें। सार्वजनिक स्थानों और शौचालयों के पास हाथ धोने की व्यवस्था भी की हैं। शिविरों में पानी की आपूर्ति में कमी के कारण हाथ की लगातार धुलाई के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।

बिस्वास ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को रोहिंग्या समुदाय की दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए ... उन्हें भी सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

27 June 2020, 14:37