राँची की मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें, कम्यूनिटी किचन में सेवा दे रही हैं। राँची की मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें, कम्यूनिटी किचन में सेवा दे रही हैं। 

कोलकत्ता के 40 हजार परिवारों की मदद करतीं मदर तेरेसा की धर्मबहने

मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें 40 हजार परिवारों के बीच भोजन और राशन का वितरण कर रही हैं। वितरण कलकत्ता के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 15 मिलियन लोगों के बीच की जा रही है किन्तु खास रूप से सबसे गरीब क्षेत्र हावड़ा में यह काम सराहनीय है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कलकत्ता, बृहस्पतिवार, 21 मई 2020 (रेई)- कोलकत्ता के महाधर्माध्यक्ष थॉमस डीसूजा ने कहा, "यह हावड़ा के लोगों के लिए बहुत बड़ी सहायता है जो शहर के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है। मिशनरीस ऑफ चैरिटी की मदर जेनेरल सिस्टर प्रेमा ने व्यक्तिगत रूप से हावड़ा में राशन बांटा है। पुलिस ने धर्मबहनों को जगह के लिए निर्देशित किया है।

भारत की सरकार ने कुछ घंटे समय देने के बाद 24 मार्च को तालाबंदी की घोषणा की थी। इस तालाबंदी में लाखों लोगों ने अपने दैनिक काम और मजदूरी खो दी, उन्हें बेघर एवं निराश हालत में छोड़ दिया। उन मजदूरों में से अधिकतर गाँवों से काम की खोज में शहर आये थे और इस समय अपना घर लौट नहीं पा रहे हैं।  

कोलकत्ता महाधर्मप्रांत के विकर जेनेरल दोमनिक गोम्स ने कहा, "मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें तालाबंदी से उत्पन्न अत्यधिक गरीब लोगों के बीच पहली पंक्ति पर हैं। वे जो कार्य कर रही हैं वह उन लोगों के लिए एक महान मानवीय सेवा है जो बिना मदद छोड़ दिये गये और भुला दिये गये हैं।"

चूँकि लोकडाउन 31 मई तक बढ़ा दिया गया है मदर तेरेसा की अधिकांश धर्मबहनें कोलकत्ता की सुदूर झुग्गी झोपड़ियों में खाद्य पदार्थों का वितरण कर रही हैं।

धर्मबहनें जो राशन प्रदान कर रही हैं उसमें – चावल, चीनी, गेहूँ का आटा, सूखी फलियां और दाल है। वे एक ट्रक एवं अम्बुलेंस के साथ पड़ोस में जाते हैं ताकि राशन के साथ बीमार लोगों को दवा भी दिया जा सके।   

महाधर्माध्यक्ष डीसूजा ने याद किया कि इन दिनों कई धर्मप्रांतों में लौदातो सी सप्ताह मनाया जा रहा है ताकि जलवायु परिवर्तन एवं समस्त पर्यावरण की स्थिति पर चिंतन किया जा सके। उन्होंने कहा, "किन्तु लॉकडाउन के कारण हम बहुत सीमित हैं। हमारी सबसे बड़ी चिंता है उन गरीब, बेरोजगार और प्रवासी लोगों की मदद हेतु उपाय खोजना।" साथ ही हम तूफान अम्पन से बचने की भी तैयारी कर रहे हैं जो 185 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बंगाल तट से आ रहा है। इस तूफान के कारण भारत और बंगलादेश के लाखों लोगों को स्थान खाली कराया गया है।    

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "यह तूफान लौदातो सी से जुड़ा है क्योंकि यह पर्यावरण पर मानव के विनाश की गतिविधियों का चिन्ह है। वनों की कटाई, उद्योग के लिए गैस का उपयोग, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन के कारण हैं जो चक्रवातों को और भी अधिक हानिकारक बनाते हैं। "

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

21 May 2020, 17:49