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महाधर्माध्यक्ष पित्साबाला महाधर्माध्यक्ष पित्साबाला  

पवित्र भूमि में चालीसा काल

चालीसा काल के दौरान, कोरोना वायरस के भय एवं इस्राएल में कुछ काथलिक धर्माध्यक्षों के पृथक रहने की स्थिति में, येरूसालेम के लातीनी प्रेरितिक प्रशासक मोनसिन्योर पियेरबपतिस्ता पित्साबाला ने एक साक्षात्कार में पवित्र भूमि की स्थिति का जिक्र किया है।

उषा मनोरम ातिरकी-वाटिकन सिटी

पवित्र भूमि, मंगलवार, 10 मार्च 2020 (रेई)˸ इस्राएल के कई काथलिक धर्माध्यक्ष इटली से वापस लौटने के बाद सावधानी बरतते हुए अलग रह रहे हैं। पवित्र भूमि में आयोजित काथलिक आमसभा को रद्द कर दिया गया है। एक साक्षात्कार में मोनसिन्योर पियेरबपतिस्ता ने कहा है कि चालीसा काल फिलीस्तीन में सामान्य स्थिति एवं पूरी तरह बंद स्थिति में है। 

महाधर्माध्यक्ष पित्साबाला अलग किये हुए कमरे में रह रहे हैं और वहीं से उन्होंने साक्षात्कार के सवालों का उत्तर दिया। उन्होंने कहा, "कोरोना वायरस ने हम में से अधिकतर धर्माध्यक्षों को चालीस दिनों के लिए अलग होकर रहने के लिए मजबूर कर दिया है जो इटली के बारी में "भूमध्यसागरीय सरहद की शांति सभा" में भाग लेकर लौटे हैं। सावधानी बरतने हेतु 10 मार्च को आयोजित काथलिक आमसभा को भी रद्द कर दिया गया है।  

सभा को रद्द करना पीड़ादायक

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि सभा को वैचारिक चुनाव के आधार पर नहीं बल्कि व्यवहारिक कारण से रद्द किया गया है चूँकि अधिकांश धर्माध्यक्ष एकान्तवास में हैं। संस्कारों को प्राप्त करना ईशशास्त्रीय नहीं बल्कि व्यवहारिक मुद्दा है। हमारी कलीसिया में सभी परमप्रसाद ग्रहण करते हैं इसके कठिनाई नहीं है किन्तु विवाह संस्कार को किस तरह से प्राप्त किया जा सकता है, खासकर, मिस्रित विवाह में बच्चों को किस तरह शिक्षा दी जाए। पवित्र भूमि में काथलिक एवं ऑर्थोडॉक्स मिस्रित हैं तथा 90 प्रतिशत ख्रीस्तीय परिवार मिस्रित है। आमसभा में इन्हीं मुद्दों पर विचार किया जाएगा।  

कोरोना वायरस के समय में वहाँ चालीसा काल को लोग किस तरह जी रहे हैं ?

उत्तर- धर्मप्रांत में करीब खंडित मनस्कता की स्थिति है। जॉर्डन में लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसकी (चालीसा काल) शुरूआत एक सप्ताह बाद हुई क्योंकि वे जुलियन ऑर्थोडॉक्स कैलेंडर को मानते हैं। वहाँ परम्परागत क्रूस-रास्ता, प्रायश्चित ख्रीस्तयाग एवं विभिन्न पल्लियों में चालीसा काल के पड़ाव आदि जारी हैं। दूसरी ओर फिलीस्तीन में कोरोना वायरस के कारण सब कुछ बंद हैः गिरजाघर केवल व्यक्तिगत प्रार्थना के लिए खुले हैं, पवित्र मिस्सा 20 से कम संख्या के दल में ही चढ़ाये जा रहे हैं।
इस्राएल में मध्य स्थिति का अनुपालन किया जा रहा है। येरूसालेम में चालीसा काल पवित्र कब्र की धर्मविधि द्वारा शुरू की गयी जो न केवल येरूसालेम बल्कि गलीलिया एवं नाजरेथ में भी लागू है।   

सवाल - क्या यह नाटकीय स्थिति प्रार्थना की शक्ति एवं उपवास के आयाम को पुनः खोजने का अवसर हो सकता है?

उत्तर- यहाँ उपवास को गंभीरता से लिया जाता है और पश्चिम की आलोचना की जाती है कि पश्चिम में उपवास नहीं बल्कि मिताहार किया जाता है। हमारे साथ पूर्वी एवं मुसलमानों के रमजान परम्परा के कारण उपवास को अच्छी तरह किया जाता है। यह ख्रीस्तीय जीवन का प्रभावशाली समय है, उसी तरह धर्मविधि की प्रार्थनाएँ भी की जाती हैं। इस समय हम जोर देते हैं कि पुरोहित परिवारों के साथ खूब प्रार्थना करें। इसी आयाम की पुनः खोज करना है।  

सवाल - महामारी के इस नाटकीय समय में चालीसा काल को सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से पीड़ित लोगों के अधिक करीब होने के अवसर में बदल सकें जिससे पवित्र भूमि लम्बे समय से पीड़ित है।

उत्तर- राजनीति को प्रार्थना एवं मन-परिवर्तन का अवसर हमेशा दिया गया है। दुर्भाग्य से राजनीति की कई कमजोरियाँ हैं और यह पीड़ा की कई स्थितियों को उत्पन्न करती है। मैं फिलीस्तीन के लोगों की याद करता हूँ। यह कोई नयी चालीसा नहीं है वहाँ चालीसा कई सालों पहले शुरू हो चुकी है। फिर भी वर्तमान स्थिति एक अवसर है कि हम अपने आपसे पूछें।  

सवाल- आप इस एकांतवास में कैसा महसूस कर रहे हैं?

उत्तर- यह अवधि अगले शुक्रवार को समाप्त हो जाएगा। मैं कह सकता हूँ कि यह मेरे लिए अधिक प्रार्थना करने का एक अनुठा अवसर था, घर में रहने और उन चीजों को करने का अवसर था जिन्हें अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण अक्सर टाल दिया जाता है। गति धीमी करना अच्छा है। मैं अपने समुदाय में क्या हो रहा है उसपर चिंतन कर पा रहा था और इस भयंकर वायरस के शिकार लोगों के प्रति एकात्मता के अनुभव में बढ़ा हूँ।  

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10 March 2020, 17:13