कैनॉन लो में पीएचडी करनेवाली संत अन्ना धर्मसमाज की पहली धर्मबहन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
राँची, मंगलवार, 4 फरवरी 2020 (मैटर्स इंडिया)˸ 3 फरवरी को सिस्टर अनुपा ने रोम के परमधर्मपीठीय लातेरन विश्वविद्यालय में अपने शोध कार्य को प्रस्तुत (डॉक्ट्रल डिफेन्स) किया।
उनके शोध की विषयवस्तु है, "महिला धर्मसमाजी संस्थाओं की धर्मसंघी अधिकारिणीयों के अधिकार एवं कर्तव्य खासकर, संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ, राँची (भारत) के संदर्भ में।"
सिस्टर अनुपा ने कहा कि उन्होंने इस विषयवस्तु को महिला धर्मसमाजी अधिकारिणीयों के अधिकार एवं कर्तव्यों पर अपने ज्ञान को गहरा करने के लिए चुना। उन्होंने बतलाया कि यह ज्ञान उन्हें समाज और कलीसिया में उनकी प्रेरितिक मिशन को प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद देगा।
उन्होंने मैटर्स इंडिया से कहा, "मैंने देखा है कि महिला धर्मसमाज की कई अधिकारिणीयाँ अपने कार्यों एवं जिम्मेदारियों के बारे अधिकार एवं कर्तव्य के ज्ञान एवं जागरूकता की कमी के कारण समस्याओं का सामना करती हैं। मेरा शोध इस कमी का व्याख्यान देने की कोशिश करेगा।"
उनके मोडेरेटर थे स्पानी क्लारेशियन फादर आइतोर जिमेनेज एकावे तथा दो प्रध्यापक प्रोफेसर- कपुचिन फादर अंजेलो दऔरिया एवं प्रोफेसर नताले लोदा थे।
रोम में अपने डॉक्ट्रेड की यात्रा के बारे बतलाते हुए सिस्टर अनुपा ने कहा कि सभी लेक्चर, प्रोजेक्ट, असाइनमेंट्स एवं पीएचडी के शोध इताली भाषा में थे किन्तु उन्होंने अपने शोध को अंग्रेजी में लिखा।
उन्होंने कहा, "इताली भाषा में पढ़ना एवं सीखना आसान नहीं था, फिर भी, ईश्वर की कृपा से एवं अधिकारिणीयों, प्रध्यापकों और मित्रों के प्रोत्साहन से, यह संभव हुआ। मैं उन सभी को धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुँचने में साथ दिया।"
सिस्टर अनुपा ने लाईसेनसियेट की तीन साल की पढ़ाई रोम के परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय से पूरा किया था।
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