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भारतीय कलीसिया सामाजिक सद्भाव हेतु संवाद के लिए प्रतिबद्ध

भारत की कलीसिया के शीर्ष निकाय, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) की आमसभा बेंगलूरू में आयोजित की गयी है जिसकी विषयवस्तु है, "संवाद ˸ सच्चाई और परोपकार की राह।"

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, शनिवार, 15 फरवरी 2020 (वीएन)˸ भारत की काथलिक कलीसिया ने वार्ता एवं सामाजिक सौहाद को प्रोत्साहन देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी, चाहे वह संघर्ष की स्थित में हो अथवा सामाजिक एवं राजनीतिक संकट झेल रही हो।   

मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने बृहस्पतिवार को भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की आमसभा का उद्घाटन करते हुए कलीसिया के समर्पण को व्यक्त किया।  

संत जोन मेडिकल कॉलेज में 13 से 19 फरवरी तक आयोजित सम्मेलन की विषयवस्तु है "संवाद ˸ सच्चाई और परोपकार की राह।"

राष्ट्र-निर्माण हेतु वार्ता

सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल ग्रेसियस ने याद दिलाई कि "कलीसिया ने हमेशा समाज की सेवा की है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि वार्ता आवश्यक है क्योंकि यह विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और जातीय विविधताओं का एक चित्र है।

कार्डिनल ने कहा कि सम्मेलन में वे चिंतन कर रहे हैं कि कलीसिया किस तरह आगे बढ़ सकती है। वे विभिन्न कार्यक्रमों एवं कलीसिया किन मुद्दों से प्रभावित होती है उन बातों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों तक पहुँचने के द्वारा किस तरह राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे सकते हैं इसपर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।  

उन्होंने कहा, "भारत की काथलिक कलीसिया समाज के विभिन्न दलों के साथ वार्ता के द्वारा आगे बढ़ सकती है, उदाहरण के लिए, नगर निकाय, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन तथा धार्मिक समुदाय के साथ, ताकि भारत के इस समृद्ध धरती में, शांति और सौहार्दपूर्ण वार्तावरण बनाते हुए सच्चे नागरिक की तरह जी सकें।" सीबीसीआई अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि भारत की कलीसिया, शांति, आनन्द और सौहार्द जैसे सुसमाचारी मूल्य को जीते हुए हमेशा सारी मानव जाति के लिए कार्य करती रहेगी।  

सेतु का निर्माण

कार्डिनल ने कहा, "मैं इस आमसभा को प्रभु के हाथों सौंपता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि इसमें किये गये विचार-विमर्श का फल, हमें सेतु निर्माण हेतु प्रेरित करे, सबसे पहले दूसरे व्यक्ति को समझने, उसके बाद उसके साथ चलने के लिए, चाहे वह किसी भी जाति, रंग और धर्म का क्यों न हो।"  

उन्होंने गौर किया कि सीबीसीआई की 2020 की आमसभा के ही समान विषयवस्तु पर, पहले भी चिंतन किया गया था, किन्तु उन्होंने कहा कि भारत की कलीसिया अब इस विषय को नई गति और शक्ति देना चाहती है, संवाद को बेहतर बनाने के लिए नेटवर्क और संस्थानों को मजबूत करना चाहती।

सीबीसीआई आमसभा का उद्घाटन भारत के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष जामबपतिस्ता दीक्वात्रो ने की, जिसमें तीन रीतियों की काथलिक कलीसियाओं के शीर्ष अधिकारी, अन्य महाधर्माध्यक्ष, धर्माध्यक्ष, सीबीसीआई की समिति के सदस्य एवं अन्य समितियों के सदस्य मौजूद थे।

सम्मेलन में बड़ी संख्या में पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं लोकधर्मियों ने भी भाग लिया। प्रतिभागियों को सम्बोधित करने और उनके बीच अपना अनुभव बांटने के लिए अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों को भी निमंत्रित किया गया था।

भारत की काथलिक कलीसिया तीन रीतियों की कलीसियाओं से बनी है – लातीनी, सिरो मलाबार और सिरो मलांकरा। सीबीसीआई भारत में इन तीनों रीतियों की कलीसियाओं का शीर्ष निकाय है जबकि सीसीबीआई भारत की लातीनी रीति के धर्माध्यक्षों का सम्मेलन है। 132 धर्मप्रांतों एवं 189 धर्माध्यक्षों के साथ सीसीबीआई एशिया का सबसे बड़ा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन है।  

सीबीसीआई की स्थापना 1944 में हुई थी, जो अब 75 साल पूरा कर चुका है। अपने 175 धर्मप्रांतों एवं 200 सक्रिय धर्माध्यक्षों के साथ यह विश्वभर में सबसे बड़ा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन है।  

 

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15 February 2020, 17:15