सीसीबीआई के सदस्य सीसीबीआई के सदस्य 

भारतीय कलीसिया में दैनिक जीवन में सुसमाचार को जीने का प्रोत्साहन

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीसीबीआई) जो भारत की लातीनी रीति के धर्माध्यक्षों को एक मंच पर लाता है, इसकी वार्षिक आमसभा बैंगलोर में 16 फरवरी को सम्पन्न हुई।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, मंगलवार, 18 फरवरी 2020 (वीएन)˸ भारत एवं नेपाल के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष जामबपतिस्ता दिक्वात्रो ने रविवार को ख्रीस्तयाग में धर्माध्यक्षों का आह्वान करते हुए कहा, "ख्रीस्त का अनुसरण करनेवालों की जिम्मेदारी है, सुसमाचारी मूल्यों; करुणा और सहानुभूति को प्रोत्साहन देना। हमारे देश के धर्माध्यक्षों को चाहिए कि वे विश्वासियों को अपने जीवन में सुसमाचार के मूल्यों को गहराई से जीने का प्रोत्साहन दें।"

बैंगलोर में सीसीबीआई की एक दिवसीय आमसभा, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के दौरान सम्पन्न हुई जो 13-19 फरवरी तक आयोजित की गयी है।  

सीसीबाई की 32वीं आमसभा का उद्घाटन महाधर्माध्यक्ष दिक्वात्रो ने किया।

सीसीबीआई के अध्यक्ष गोवा एवं दमण के महाधर्माध्यक्ष फिलिप नेरी फेर्राओ ने सभा की अध्यक्षता की। उन्होंने भाईचारा, शांति और राष्ट्र निर्माण को बाढ़ावा दिये जाने पर बल दिया और कहा कि उन्हें कठिनाइयों में भी दृढ़ बने रहना है, जिनका सामना कलीसिया एवं विश्वासियों को करना पड़ रहा है। उन्होंने एक ऐसे समाज के निर्माण का आह्वान किया जिसमें जाति, धर्म और भाषा का कोई भेदभाव न हो।   

सीबीसीआई के अध्यक्ष मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि हमारे देश में जीवन और भाईचारे की संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जाए। उन्होंने केंद्र सरकार के नए गर्भावस्था अधिनियम की चिकित्सा समाप्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की, जो गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय 24 सप्ताह के गर्भकाल तक गर्भपात की अनुमति देता है।

काथलिक कलीसिया एवं संत पापा फ्राँसिस की शिक्षा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "मानव जीवन का सम्मान एवं रक्षा गर्भधारण के समय से ही किया जाना चाहिए। कलीसिया मानव जीवन की रक्षा करने में, उसके गर्भ में आने से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक दृढ़ है। धर्माध्यक्षों को सभी मानव प्राणियों की प्रतिष्ठा के बारे ख्रीस्त के संदेश को फैलाना है।"

उद्घाटन ख्रीस्तयाग में, चीन और विश्व के अन्य हिस्सों में कोरोना वायरस से पीड़ित सभी लोगों के लिए विशेष प्रार्थना की गयी। महाधर्माध्यक्ष फेर्राओ ने सभी से आग्रह किया कि वायरस से पीड़ित सभी लोगों के जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना जारी रखा जाए।    

सीसीबीआई ने काथलिक धर्माध्यक्षों के एशियाई संघ (एफएबीसी) की स्वर्ण जयन्ती में भाग लेने हेतु 26 धर्माध्यक्षों की नियुक्ति की, जो नवम्बर माह में थाईलैंड के बैंकॉक में मनाये जाने वाले समारोह में भाग लेंगे।  

भारत की काथलिक कलीसिया तीन रीतियों की कलीसियाओं से बनी है – लातीनी, सिरो मलाबार और सिरो मलांकरा। सीबीसीआई भारत में इन तीनों रीतियों की कलीसियाओं का शीर्ष निकाय है जबकि सीसीबीआई भारत की लातीनी रीति के धर्माध्यक्षों का सम्मेलन है। 132 धर्मप्रांतों एवं 189 धर्माध्यक्षों के साथ सीसीबीआई एशिया का सबसे बड़ा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन है।

सीबीसीआई की स्थापना 1944 में हुई थी, जो अब 75 साल पूरा कर चुका है। अपने 175 धर्मप्रांतों एवं 200 सक्रिय धर्माध्यक्षों के साथ, ब्राजील, इटली और अमरीका के बाद, यह विश्वभर का चौथा बड़ा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन है। 

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18 February 2020, 16:30