बेथलेहेम के नेटिविटी गिरजाघर के प्राँगण में महाधर्माध्यक्ष पित्साबाल्ला, तस्वीरः 24.12.2019 बेथलेहेम के नेटिविटी गिरजाघर के प्राँगण में महाधर्माध्यक्ष पित्साबाल्ला, तस्वीरः 24.12.2019 

पवित्रभूमि की कलीसिया वार्ता एवं साक्षात्कार का स्थल बने

जैरूसालेम में लातीनी रीति की कलीसिया के प्रेरितिक प्रशासक महाधर्माध्यक्ष पियरबतिस्ता पित्साबाल्ला ने पहली जनवरी को नववर्ष के उपलक्ष्य में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए शान्ति स्थापना के लिये वार्ताओं को नितान्त आवश्यक बताया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

जैरूसालेम, शुक्रवार, 3 जनवरी 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो): जैरूसालेम में लातीनी रीति की कलीसिया के प्रेरितिक प्रशासक महाधर्माध्यक्ष पियरबतिस्ता पित्साबाल्ला ने पहली जनवरी को नववर्ष के उपलक्ष्य में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए शान्ति स्थापना के लिये वार्ताओं को नितान्त आवश्यक बताया।  

परस्पर सम्वाद की आवश्यकता

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "वास्तविकता को पहचानते हुए, बुलाहट और भविष्यवाणी, प्रार्थना, उदारता के कार्य,  ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक वार्ताओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कुछ ऐसे ठोस तरीके हैं, जिनके द्वारा पवित्र भूमि की कलीसिया खोखले शब्दों के बिना "सम्वाद और शांति की गंभीरतापूर्वक और विश्वसनीय ढंग से घोषणा" कर सकती है।"

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया द्वारा पहली जनवरी को निर्धारित विश्व शान्ति दिवस पर चिन्तन करते हुए उन्होंने लोगों के बीच परस्पर सम्वाद की आवश्यकता पर बल दिया।

पवित्र भूमि के कलीसियाई समुदाय तथा कलीसिया के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म का पालन "हमें स्वचालित रूप से सम्वाद और शांति के विशेषज्ञ नहीं बना देता है।" अपितु, उन्होंने कहा, "सभी विश्वासियों को आमंत्रित किया जाता है कि साक्षात्कार की ओर अग्रसर करनेवाली इस व्यक्तिगत और सामुदायिक यात्रा एवं आध्यात्मिक संघर्ष में वे भागीदार बनें।"

सुसमाचारी मूल्यों में समाधान खोजें

महाधर्माध्यक्ष पित्साबाल्ला ने पवित्रभूमि के काथलिकों का आह्वान किया कि वे अपने क्षेत्र की वास्तविकता को स्वीकार करें जो संघर्षों एवं तनावों से घिरी है। उन्होंने कहा कि संघर्षों से पलायन अथवा सुसमाचारी मूल्यों के बिना उनका समाधान ढूँढ़ने से सम्भवतः केवल कलीसिया की इमारतों की सुरक्षा हो सकती है किन्तु यह ख्रीस्तीयों की आशा और विश्वास को पोषित करने में सक्षम नहीं हो सकती।

इसके लिये, उन्होंने कहा कि सामुदायिक रूप से साक्ष्य देना अनिवार्य है, जिसका पहला कदम है क्षेत्र की वास्तविकता और कठिनाइयों से वाकिफ़ होना तथा लोगों की पीड़ाओं को सुनना। उन्होंने कहा कि अनवरत इस तथ्य की पुष्टि करना अनिवार्य है कि जहाँ दमन, उत्पीड़न और हिंसा का बोलबाला है वहाँ सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में शांति का एकमात्र संभव रास्ता सुसमाचारी मूल्यों का पालन है।

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03 January 2020, 11:50