परमप्रसाद के चमत्कार को वैज्ञानिक अध्ययन के लिए रोम भेजा गया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
सिरो मलाबार के तेल्लीचेरी महाधर्मप्रांत के ख्रीस्त राजा गिरजाघर में 15 नवम्बर 2013 को ख्रीस्तयाग के दौरान परमप्रसाद में येसु के चेहरे के समान आकृति प्रकट हुई थी।
पल्ली के एक सहायक, बेबी जोसेफ पायिकट ने कहा कि परमप्रसाद को 10 जनवरी को कोच्चि के उपनगर कक्कानाड में सिरो-मालाबार गिरजाघर के मुख्यालय में ले जाया गया था और अगले दिन इसे प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष जामबपतिस्ता दी क्वात्रो को सौंप दिया गया। कोच्चि विलाक्कान्नूल से 330 किलो मीटर दूर है।
प्रेरितिक राजदूत सिरो मलाबार कलीसिया में 7- 15 जनवरी तक सिनॉड में भाग लेने के लिए काक्कानाड के संत थॉमस माऊंट आये थे।
परमप्रसाद की आराधना, एक चमत्कार के रूप में विलाक्कान्नूर पल्ली में 21 सितम्बर 2018 से ही की जा रही है।
पाईकाट ने 13 जनवरी को मैटर्स इंडिया को बताया कि "हमारे पल्ली पुरोहित फादर मैथ्यू वेंगाकुनेल की अगुवाई में चार सदस्यीय टीम ने परमप्रसाद को कोच्चि लिया।"
काच्चि ले जाये जाने के पहले 10 जनवरी को पल्ली के द्वारा एक समारोही ख्रीस्तयाग का आयोजन किया गया था। 2013 में जब चमत्कार हुआ था तब हजारों लोग विलाक्कान्नूर गिरजाघर में जमा हुए थे। तीन दिनों के बाद महाधर्मप्रांत ने चमत्कारी परमप्रसाद को ले लिया था, यह कहते हुए कि इसके लिए वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है।
महाधर्माध्यक्ष जॉर्ज नजारालाकाट ने जिरिदीपम पत्रिका में कहा था कि पवित्र परमप्रसाद को विलाक्कन्नूर कलीसिया को सौंपने का अर्थ यह नहीं है कि परमप्रसाद के इस चमत्कार को आधिकारिक रूप से स्वीकृति मिल गयी है।
उन्होंने उसे पल्ली की मुख्य वेदी पर रखने और पावन संस्कार में उसकी आराधना करने से मना किया था। उन्होंने कहा था कि उसे किसी विशेष स्थान पर बगल की वेदी पर रखा जाए।
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