फादर जॉनकार्लो पोलिती फादर जॉनकार्लो पोलिती  

चीनी कलीसिया के साथ पुल बनाने वाले फादर जॉनकार्लो पोलिती का निधन

पीमे की मासिक पत्रिका "मोन्दो ए मिस्योने" (दुनिया और मिशन) और एशिया न्यूज के पूर्व संपादक एवं चीनी कलीसिया के साथ पुल बनाने वाले फादर जॉनकार्लो पोलिती का मिलान में 22 दिसम्बर की रात 0.15 बजे निधन हुआ।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मिलान, सोमवार 23 दिसम्बर 2019 (एशिया न्यूज) : फादर जॉनकार्लो पोलिती, पीमे मिशनरी (पोंटिफिकल इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेन मिशन) का 22 दिसम्बर की रात 0.15 बजे निधन हो गया। उन्होंने हांगकांग और चीन में लंबे समय तक काम किया, चीनी धर्माध्यक्षों और काथलिक समुदायों के साथ मजबूत और स्थिर संबंध बनाया था। वे पीमे की मासिक पत्रिका "मोन्दो ए मिस्योने" (दुनिया और मिशन) और एशिया न्यूज के पूर्व संपादक थे।

फादर पोलिती का निधन 77 वर्ष की आयु में हुआ। वे 53 साल से पीमे पुरोहित थे। अपने जीवन के अंतिम चरण में वे अल्जाइमर रोग से पीड़ित होने के कारण बुजुर्ग मिशनरियों के लिए घर,रान्चो दी लेक्को में सेवानिवृत्त हुए थे। फादर पोलिती का अंतिम बिदाई मिस्सा समारोह 24 दिसम्बर सुबह 9.30 बजे रान्चो दी लेक्को के प्रार्थनालय में होगा और उन्हें विला ग्रुगाना में पीमे कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा।

फादर पोलिती का जन्म 19 मार्च 1942 ई. में अब्बियातेग्रास्सो (मिलान)में हुआ था।  मिलान धर्मप्रांतीय सेमिनरी में प्रवेश करने के बाद, 1961 में पीमे विला ग्रुगाना में एक वर्ष के प्रशिक्षण में शामिल हुए। उन्होंने 25 जून, 1965 को आजीवन व्रत लिया और 28 जून, 1966 को मिलान में कार्डिनल जोवान्नी कोलंबो द्वारा उनका पुरोहिताभिषेक हुआ।

प्रारंभ में 1966-67 तक बुलाहट और युवा आंदोलन के प्रभारी के रुप में अपनी सेवा दी। 1969 में उन्होंने लंदन में अंग्रेजी भाषा के अध्ययन किया। बाद में पोंटिफिकल ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र में स्नात्कोतर की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्हें भारत भेजा गया जहां उन्हें मुंबई के एक पल्ली में सहायक पल्लीपुरोहित नियुक्त किया गया और पुणे के पोंटिफिकल विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र संकाय में भी अपनी सेवा दी।

भारत के लिए एक स्थायी वीजा प्राप्त करने में असमर्थ, उसे हांगकांग में स्थानांतरित कर दिया गया। कई वर्षों तक वह त्सुकान वान में सहायक सहयोगी थे। इसके बाद फादर पोलिती को जनरल चापटर की तैयारी आयोग का हिस्सा बनने के लिए इटली बुलाया गया और 1977 में उन्हें मिशनरी सेंटर के सहायक निदेशक और प्रशासक के रूप में मिलान लाया गया।

1981 में वे हांगकांग लौटे, पहले यूएन लॉन्ग (एन.टी.) के पल्ली पुरोहित बने।  1986 में, एचके प्रेस कार्यालय और एशियान्यूज एजेंसी का निदेशक नियुक्त हुए। 1993 में, उन्हें मिलान में मिशनरी केंद्र का निदेशक नियुक्त किया गया और 2001 में लोकधर्मियों कीप्रेरिताई हेतु गठित घर्मसंघ के अनुरोघ पर उन्हें चीनी प्रश्नों पर एक विशेषज्ञ के रूप में काम किया। इसके बाद वे कई वर्षों तक पीमे ईशशास्त्र सेमिनरी मोन्जा में आध्यात्मिक निदेशक के रुप में अपनी सेवा दी।  2017 में, स्वास्थ्य कारणों से, वे रान्चो समुदाय में चले गए। वहाँ वे अपनी बीमारी - अल्जाइमर से अवगत हुए।

उसी बीमारी से जूझते हुए मरीजों से वे कहा करते थे, “तुम बीमार हो, तब भी तुम पिता और माता हो, या भाई-बहन हो । अपने आप पर मत रोओ । दवाएं हमारे जीवन का केवल एक हिस्सा हैं। जिंदा रहने की खूबसूरती ही मायने रखती है।”

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23 December 2019, 17:02