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महाधर्माध्यक्ष एवं धर्मबहन शांति व मानव अधिकार से लिए सम्मानित

गुवाहाटी के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनमपरमबिल एवं पवित्र हृदय धर्मसमाज की धर्मबहन रोस टॉम को भारत में शांति स्थापित करने एवं मानव अधिकार के लिए कार्य करने हेतु सम्मानित किया गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, मंगलवार, 10 दिसम्बर 2019 (रेई)˸ 83 वर्षीय महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनमपरमबिल भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में शांति निर्माता के रूप में प्रसिद्ध हैं, खासकर, असम के जनजातीय समूहों के बीच। सिस्टर रोस जो केरल की हैं वे इस समय अरूणाचल प्रदेश में बाल मृत्यु दर का सामना करने हेतु कार्यरत हैं।  

सम्मान समारोह 9 दिसम्बर को दिल्ली में सम्पन्न हुआ। पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार समिति की ओर से दी गयी, जिसमें महाधर्माध्यक्ष को "शांति के राजदूत" की उपाधि दी गयी एवं सिस्टर रोस को मानव अधिकार में योगदान देने के लिए सम्मानित किया गया।  

गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष ने सम्मान समारोह में सम्बोधित कर कहा कि शांति प्रयास में सफलता का राज सुनने की क्षमता में है। उन्होंने कहा कि सुसमाचार प्रचार शांति, समुदायों के बीच मेल-मिलाप एवं लोगों को एक साथ लाना है। शांति प्रक्रिया से उत्पन्न आनंद अद्वितीय है। यह एक ऐसी खुशी है जिसे कोई दूर नहीं कर सकता”।  

सिस्टर रोस ने कहा, "मैं इस सम्मान से बहुत खुश हूँ। पुरस्कार मेरे जैसे सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए है जो बीमार लोगों की देखभाल करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के सबसे दूरदराज के गांवों तक पहुंचने के लिए कई दिनों तक चलते हैं।"

धर्मबहन की नियुक्ति माओ के धर्माध्यक्ष जॉर्ज पाल्लिपारामबिल के निमंत्रण पर 2015 में हुई थी ताकि क्रिक एवं बौरी मेमोरियल अस्पताल में उत्तम सेवा प्रदान की जा सके। यह उत्तर पूर्व में काथलिक कलीसिया का एकमात्र अस्पताल है।

धर्माध्यक्ष ने कहा, "डॉक्टर ने केरल के एक बड़े अस्पताल में स्वास्थ्य देखभाल अधीक्षक के रूप में एक प्रमुख पद छोड़ना स्वीकार किया। वे वास्तव में लोगों के लिए एक आशीर्वाद बन चुकी हैं। चिकित्सा देखभाल से अधिक, वे जागरूकता बढ़ाने हेतु महत्वपूर्ण  योगदान दे रही हैं, क्योंकि दुर्भाग्य से लोगों की अज्ञानता के कारण कई मौतें होती हैं।"

मातृ और नवजात शिशु देखभाल में 30 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, सिस्टर रोस ने कहा कि "स्वास्थ्य सेवा अभी भी लोगों के लिए सबसे गंभीर समस्या है"। हाल के अध्ययन के अनुसार अरूणाचल प्रदेश में शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 जन्म पर 36 मौतें है, जो 2000 के बाद सबसे अधिक और पूरे देश में सबसे खराब है। सिस्टर रोस ने कहा कि गाँवों में काम करने वाले हमारे मोबाइल क्लीनिक और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से, हम मृत्यु दर को कम करने के लिए, लोगों को शिक्षित करने और ज्ञान का प्रसार करने हेतु सब कुछ करते हैं।

 

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10 December 2019, 17:15