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संत पापा की थाई-जापान यात्रा, "कृपा का समय", कार्डिनल बो

एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष कार्डिनल चार्स बो ने एशिया में संत पापा फ्राँसिस की आगामी प्रेरितिक यात्रा पर एक संदेश जारी किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बैंकॉक, बृहस्पतिवार, 14 नवम्बर 19 (रेई)˸ कार्डिनल बो ने थाईलैंड एवं जापान में संत पापा फ्राँसिस की आगामी प्रेरितिक यात्रा को "ख्रीस्तियों के लिए कृपा का समय" कहा है।

यांगोन के महाधर्माध्यक्ष म्यानमार के कार्डिनल चार्ल्स बो ने कहा है कि "संत पापा फ्राँसिस आधुनिक समय के नबी हैं। वे एक विश्व नेता हैं जो न केवल धार्मिक संदेश की घोषणा करते बल्कि मानवता का भी संदेश देते हैं।"

संत पापा 20 से 26 नवम्बर तक थाईलैंड एवं जापान की प्रेरितिक यात्रा करेंगे। यह यात्रा विदेश में उनकी 32वीं और एशिया में चौंथी प्रेरितिक यात्रा होगी। इससे पूर्व उन्होंने 2014 में दक्षिणी कोरिया, 2015 में श्रीलंका एवं फिलीपींस तथा 2017 में म्यानमार और बंगलादेश की यात्रा की थी।

कार्डिनल बो थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 22 नवम्बर को धन्य निकोलास बूनकेर्ड कितबामरंग के तीर्थस्थल पर, संत पापा से मुलाकात करेंगे, जहाँ एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ से संत पापा की मुलाकात होगी।

उपनगरों तक पहुँच

एफएबीसी के अध्यक्ष ने गौर किया कि संत पापा हर तरह के लोगों तक पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं जैसा कि उन्होंने अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय समुदायों का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की है। वे हाशिये पर जीवनयापन करने वाले लोगों एवं सुदूर गाँवों में रहने वाले लोगों के साथ विशेष सहानुभूति रखते हैं।

सलेशियन कार्डिनल ने म्यानमार एवं बंगलादेश में संत पापा की यात्रा को कृपा एवं चमत्कार का अवसर कहा था। जहाँ यात्रा कठिन थी किन्तु यह इन देशों में संत पापा की यात्रा को नहीं रोक सकी।  

वे गौर करते हैं कि वे वहाँ शांति के तीर्थयात्री के रूप में आये तथा उनकी उपस्थिति लोगों के हृदयों में आपार आनन्द और खुशी लायी। उन्होंने कहा, "जब संत पापा हमारे पास आये तो पूरा म्यानमार आशा से भर गया।" उन्होंने काथलिक कलीसिया को प्रोत्साहन दिया एवं युवाओं को शांति का माध्यम बनने हेतु प्रेरित किया।   

पूर्वी परम्परा की गहरी आध्यात्मिकता

थाईलैंड एवं जापान में भी संत पापा की यात्रा पर कार्डिनल बो की उम्मीद है कि यह एक महान आशीर्वाद साबित होगा। महाधर्माध्यक्ष के लिए दोनों ही देशों में गहरी आध्यात्मिक परम्पराएँ हैं जो हजारों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।  

संत पापा न्याय के नबी

कार्डिनल बो ने "जलवायु परिवर्तन" और "गरीबी" के मुद्दों पर भी प्रकाश डाला जिनपर संत पापा फ्राँसिस विशेष ध्यान देते हैं। चूँकि जापान और थाईलैंड को भी जलवायु परिवर्तन के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कार्डिनल बो को पूर्ण विश्वास है कि इन मुद्दों पर भी संत पापा की आवाज सुनी जायेगी।

कार्डिनल बो ने संदेश में कहा है कि एशिया आर्थिक और पर्यावरणीय न्याय के नबी का स्वागत करती है। एशिया कई धर्मों एवं सभ्यताओं का गढ़ है। अतः आध्यात्मिक मुलाकात इन देशों में सभी के लिए आशीर्वाद का स्रोत बनेगा तथा शांति और समृद्धि  की नई सुबह लायेगी।  

थाईलैंड में 35 वर्षों के बाद संत पापा की यह दूसरी यात्रा होगी। इससे पूर्व संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 1984 में थाईलैंड की यात्रा की थी। यात्रा का आदर्शवाक्य है, "ख्रीस्त के शिष्य, मिशनरी शिष्य।" इस अवसर पर सियाम विकारियेट की स्थापना की 350वीं वर्षगाँठ मनायी जायेगी, जिसकी स्थापना 1669 में हुई थी और इसी के साथ देश में काथलिक कलीसिया की स्थापना हुई थी।

जापान की यात्रा संत पापा फ्राँसिस ने 38 वर्षों पूर्व 1981 में की थी। संत पापा फ्राँसिस की जापान यात्रा का आदर्शवाक्य है, "सभी जीवों की रक्षा।" जापान के काथलिक धर्माध्यक्षों के अनुसार, इसमें न केवल मनुष्यों की प्रतिष्ठा बल्कि समस्त पर्यावरण के सम्मान पर ध्यान दिया गया है।

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14 November 2019, 16:19