भारत के ख्रीस्तीय प्रार्थना करते हुए भारत के ख्रीस्तीय प्रार्थना करते हुए 

भारत में ख्रीस्तीय भय में जीते हैं, काथलिक धर्माध्यक्ष

पूरे भारत में ख्रीस्तीय समुदाय हिंसा और उत्पीड़न के कृत्यों के कारण "डर में जी रहे हैं" और देश में हुए सबसे खराब उत्पीड़न के प्रकोप से अभी भी उबर रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

 उड़ीसा,शनिवार, 5 अक्टूबर, 2019 (मैटर्स इंडिया) : काथलिक कलीसिया के उदारवादी संगठन ‘एड टू चर्च इन नीड’ से बात करते हुए, राउरकेला के धर्माध्यक्ष किशोर कुमार कुजूर ने बताया कि कट्टरवादी हिन्दू संगठनों के समर्थन से भारत में बीजेपी सरकार ख्रीस्तियों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर रही है।"  

उन्होंने कहा, "ईसाई ज्यादातर वर्तमान में डर में जी रहे हैं विशेषकर उत्तर में जहां वे अल्पसंख्यक हैं।"

खतरे की गंभीरता को रेखांकित करते हुए, धर्माध्यक्ष कुजूर ने कहा कि यदि उन्होंने ख्रीस्तियों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न के बारे में विवरण जारी किया तो उनकी सुरक्षा खतरे में होगी।

धर्माध्यक्ष कुजूर का धर्मप्रांत ओडिशा राज्य का हिस्सा है, जहां 2008 में एक ईसाई विरोधी हिंसा ने 4,500 घरों और 250 गिरजाघरों पर हमले के साथ 100 से अधिक लोगों को मौत और  50,000 लोगों को बेघर बना दिया था।

अमेरिकी आधारित चारिटी उत्पीड़न राहत के अनुसार,2017 में 440 और 2018 में 477  ईसाई विरोधी घटनाएं हुईं। बिशप कुजूर ने कहा: "बहुत से लोग नहीं जानते कि भारत में ख्रीसतियों के साथ क्या हो रहा है। ख्रीस्तियों को विदेशी के रूप में देखा जाता है जैसे कि हम भारतीय नहीं है। हमसे कहा जाता है कि हम जहाँ से आए थे वहाँ वापस चले जाएँ। “ख्रीस्तीय प्रधानमंत्री मोदी की अच्छी पुस्तकों में नहीं हैं। सरकार ख्रीस्तियों को धर्मांतरण कराने वालों के रुप में देखती है।”

धर्माध्यक्ष कुजूर ने जोर देकर कहा कि "आम तौर पर" हिंदुओं में ख्रीस्तियों के प्रति सद्भावना थी और कट्टरवादी हिन्दू संगठनों के समर्थन से बीजेपी सरकार बनी तभी से ख्रीस्तियों और अल्पसंख्यों पर खतरा मंडराने लगा और वे भय में जीते हैं। दूसरे लोग इस बात को जानते हुए भी चुप रहते हैं। वे हमारे अधिकारों की रक्षा और न्याय के लिए हमारे साथ खड़े नहीं होते हैं, क्योंकि कट्टरवादियों से वे भी डरते हैं।”

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05 October 2019, 16:08