प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर 

वे चाहते थे कि मैं जेल में मर जाऊँ, फादर विनोय

धर्मांतरण के झठे आरोप में गिरफ्तार फादर विनोय ने कहा कि कलीसिया के कार्यों से नखुश लोगों की इच्छा उन्हें मार डालने की थी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

दिल्ली, शनिवार, 21 सितम्बर 2019 (एशियान्यूज)˸ "वे चाहते थे कि मैं जेल में मर जाऊँ। उन्होंने मुझे क्रमश मारने की कोशिश की।" यह बात काथलिक पुरोहित बिनोय जॉन ने कही जिन्हें झारखंड में 7 सितम्बर को जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फादर बिनोय को  17 सितम्बर को स्वस्थ्य कारणों से रिहा कर दिया गया। 42 वर्षीय फादर को हृदय में तकलीफ है जिनमें पेसमेकर लगाया गया है।

मलयालम न्यूज पेपर मनोरमा को दिये एक साक्षात्कार में फादर बिनोय ने शिकायत की है कि जेल के सुरक्षाकर्मी हृदय की बीमारी के बदले बुखार की दवाई देकर उन्हें मार डालना चाहते थे। उन्होंने कहा, "मैंने आँसू बहाते हुए उनसे अर्जी की कि मुझे अस्पताल ले चलिये, जो केवल दो मिनट की दूरी पर था किन्तु उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी।"

फादर बिनोय केरल के थोडुपुजहा के हैं और गोड्डा जिला के राजदाह में अपनी सेवा देते हैं। एशियान्यूज के अनुसार उन्हें एक अन्य पुरोहित के साथ गिरफ्तार किया गया था जिनको गिरफ्तार करने के तुरन्त बाद रिहा कर दिया गया जबकि प्रचारक अब भी जेल में है।   

उन तीनों पर जबरन धर्मांतरण के अलावा, अवैध रूप से जमीन पर कब्जा करने का आरोप भी था। फादर बिनोय ने कहा, "जब हमने पुलिस को पूरा कागजात दिखलाया तब उन्होंने हमें छोड़ दिया किन्तु बाद में जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए फिर हमारे पास आए।"  

इस समय फादर बिनोय का इलाज लालमटिया के संत लूकस स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। धर्माध्यक्ष कुरियन वालियाकानदाथिल ने कहा कि जितनी जल्दी हो सकें उन्हें केरल के कोच्चि भेज दिया जाएगा।

झारखंड में 2017 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया है जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति यदि धन का लालच देकर, धोखे से अथवा किसी तरह का दबाव डाल कर किसी व्यक्ति का धर्मांतरण करने का प्रयास करेगा उसे तीन साल की सजा होगी और 50,000 रूपये का दण्ड भरना पड़ेगा।

सिरो मालाबार कलीसिया के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जॉर्ज अलेनचेरी ने पुरोहित की रिहाई पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, "इस गिरफ्तारी का कारण स्पष्ट है, कि इसके पीछे वे लोग हैं जो गाँवों में मिशनरी सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों से खुश नहीं हैं।"

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21 September 2019, 15:01