वाटिकन में पुरोहितों का अभिषेक समारोह वाटिकन में पुरोहितों का अभिषेक समारोह 

कटक-भुनेश्वर के फादर दिगाल का साक्ष्य

संत पापा का पत्र सभी पुरोहितों को स्मरण दिलाता है कि हम सुसमाचार के लिए अपने पुरोहितीय जीवन एवं प्रेरिताई को नवीकृत करें ताकि सभी लोगों को निष्ठा एवं उदारता के साथ सेवा दे सकें एवं जिस दुनिया में हम रहते हैं उसमें आशा और प्रेम जगा सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, मंगलवार, 20 अगस्त 2019 (रेई)˸ कटक भुनेश्वर महाधर्मप्रांत के फादर संतोश कुमार दिगाल ने पुरोहितों को लिखे संत पापा फ्राँसिस के पत्र का प्रत्युत्तर दिया है।

पुरोहितों के संरक्षक संत जॉन मेरी वियन्नी की 160वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में संत पापा फ्राँसिस ने विश्वभर के पुरोहितों को एक पत्र प्रेषित कर उन्होंने प्रोत्साहन दिया था।

संत पापा का पत्र

फादर संतोश कुमार ने संत पापा फ्राँसिस के पत्र पर प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वभर के पुरोहितों को प्रेषित संत पापा का पत्र विश्वास एवं भ्रातृप्रेम के महान स्रोत के रूप में है जो आशा एवं प्रोत्साहन से भरा है।

उन्होंने संत पापा के शब्दों को याद करते हुए कहा, "वे ठीक कहते हैं कि पुरोहित बहुधा अपना सब कुछ छोड़ देते हैं ताकि समुदाय के दैनिक जीवन में संलग्न हों।" उन्होंने कहा, "मेरे 19 वर्षों की पुरोहिताई में मैंने सुना है, अनुभव किया है और देखा है कि पुरोहित किस तरह सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्रों में विभिन्न प्रेरितिक कार्यों में लगे होते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में वे ईश वचन का प्रचार करते और प्रेम, सेवा एवं समर्पण की भावना से लोगों में आशा जगाते हैं, समुदाय को सशक्त करते तथा अनेक चुनौतियों और कठिनाइयों के बावजूद गरीबों की सहायता करते तथा मानव अधिकार, मानव प्रतिष्ठा एवं समाजिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।"

पुरोहितों के कार्य

फादर दिगाल ने कहा कि संत पापा लोगों को येसु एवं लोगों के प्रेम से कार्य करने हेतु प्रेरित करते हैं जिसमें लोगों को पुरोहितों की उपस्थिति, समर्थन और सहभागिता की आवश्यकता होती है। वे इन कार्यों को बिना कोलाहल, धीरज, समर्पण एवं साहस के साथ पूरा करते हैं।  

उन्होंने संत पापा के शब्दों पर सहमति दिखलाते हुए कहा कि कुछ पुरोहित ऐसे हैं जिन्हें दूसरों की गलतियों के कारण पीड़ा और कष्ट सहना पड़ता है। कभी-कभी धर्माध्यक्ष और अधिकारी पुरोहितों को समझते और कठिनाइयों में उनका साथ देते हैं किन्तु कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें अधिकारी उन्हें नहीं समझते हैं, इसके बावजूद पुरोहित अपने मिशन को जारी रखते और अपनी प्रेरिताई में उदार बने रहते हैं। निष्ठा और उदारतापूर्वक, पूर्ण समर्पण के साथ जीने वाले पुरोहितों के लिए ईश्वर की कृपा ही बल प्रदान करती है।

कठिनाइयों की घड़ी

फादर संतोष ने बतलाया कि वे कठिनाइयों की घड़ी में, पुरोहिताई के लिए प्रथम बुलाहट एवं अपने जीवन के सुखद पलों की याद करते हैं। ऐसी घड़ी में वे उन लोगों की भी याद करते हैं जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलती है और जिन्होंने उनका साथ दिया है, खासकर, परिवार के सदस्य, धर्माध्यक्ष, प्रशिक्षक, पुरोहित एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्य। उनका अनुभव है कि उनके स्नेह से उन्हें जीवन में बल प्राप्त होता है और वे येसु एवं लोगों की सेवा में एक पुरोहित के रूप में अपने आपको समर्पित कर पाते हैं।

पुरोहितीय जीवन एवं प्रेरिताई में नवीनीकरण

उन्होंने कहा कि संत पापा का पत्र सभी पुरोहितों को स्मरण दिलाता है कि हम सुसमाचार के लिए अपने पुरोहितीय जीवन एवं प्रेरिताई को नवीकृत करें ताकि सभी लोगों को निष्ठा एवं उदारता के साथ सेवा दे सकें एवं जिस दुनिया में हम रहते हैं उसमें आशा और प्रेम जगा सकें। उन्होंने याद किया कि सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के बीच संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन दिया है कि वे अपने प्रेरितिक कार्यों को येसु के प्रेम से उत्साहपूर्वक करते रहें।

संत पापा के प्रति आभार

फादर संतोष ने संत पापा फ्राँसिस को उनके इस महत्वपूर्ण पत्र के लिए धन्यवाद दिया है तथा उनकी सराहना करते हुए कहा कि यह पत्र उन्होंने अपने हृदय से लिखा है जो पुरोहितों के प्रति उनके महान प्रेम को दर्शाता है। उनके शब्द आशा, स्नेह और अपनत्व प्रदान करते हैं और स्मरण दिलाते हैं कि हम अपने प्रेरितिक कार्यों में दृढ़ बने रहें।

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20 August 2019, 16:56