आजादी के 8 वर्षों बाद दक्षिणी सूडान में ख्रीस्तीय परिषद की सभा
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
दक्षिणी सूडान, शनिवार, 31 अगस्त 2019 (रेई)˸ सभा दक्षिणी सूडान की राजधानी जूबा में 26- 29 अगस्त को सम्पन्न हुई जिसकी विषयवस्तु थी, "क्षमा की शक्ति- टूटे समाज में चंगाई का संदेश, क्षमाशीलता की भावना में सच्चा पापस्वीकार।"
गुलू के काथलिक महाधर्माध्यक्ष जॉन बपटिस्ट ओडामा ने भी सभा में भाग लिया। उन्होंने अफ्रीकी कलीसियाओं की समिति, पूर्वी अफ्रीका में काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन एवं सूडान की कलीसियाओं का प्रतिनिधित्व किया।
वाऊ के अंगलिकन महाधर्माध्यक्ष मोसेस डेंग बोल ने सभा के आरम्भ में लिखा, "दक्षिणी सूडान की आजादी के बाद यह पहली आम सभा है। इस सभा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाने हैं।"
उन्होंने बतलाया कि सभा में महत्वपूर्ण संकल्प लिए गये हैं। नई समिति का गठन किया गया है जिसमें अफ्रीका के धर्माध्यक्ष आर्कअंजेलो वानी को अध्यक्ष चुना गया है जबकि प्रेसबितेरियन कलीसिया के मोडेरेटर जेम्स पाल ताप उप-अध्यक्ष चुने गये हैं। समिति के महासचिव काथलिक फादर जेम्स ओयेट लातानसियो होंगे।
सभा में अंतर कलीसियाई समितियों को मजबूत करने पर जोर दिया। इन्हें परिषद के निर्णयों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन हेतु हाथ के रूप में प्रस्तुत किया। जब संघर्ष समुदायों को विभाजित कर रहा है सभा का कार्य होगा लोगों के बीच एकता, प्रेम एवं क्षमाशीलता को बढ़ावा देने हेतु नये रास्तों की खोज करना।
2015 में दक्षिणी सूडान की कलीसियाओं के परिषद ने शांति के लिए एक कार्य योजना बनायी थी। इस योजना के द्वारा दक्षिणी सूडान में संघर्ष के मूल कारणों एवं इसके दीर्घकालीन प्रभावों का सामना वकालत, तटस्थ मंचों, चंगाई एवं मेल-मिलाप के द्वारा करने का प्रयास किया गया था।
समिति ने एक वक्तव्य में कहा, "जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हम समाधान करने की कोशिश करेंगे...ताकि शांति हेतु कार्य योजना को पुष्ट किया जा सके।"
दक्षिण सूडान में संघर्ष के संकल्प पर पुनरीक्षित समझौता पर हस्ताक्षर का एक साल हो चुका है किन्तु संस्थानों की स्थापना में प्रगति की कमी चिंता का विषय है। पिछला सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार आयोग ने कहा कि वह न्याय, जवाबदेही, चंगाई और मेल-मिलाप की संरचनाओं के विलंबित विकास के बारे में चिंतित है।
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