ख्रीस्तियों के लिए प्रार्थना, क्षमा और समर्पण का समय
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
काथलिक न्यूज एजेंसी फिदेस को प्रेषित एक संयुक्त घोषणा पत्र में इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है कि यूरोप की कलीसियाओं में पूजन पद्धति के कैलेंडर में "सृष्टि का काल" 1 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक एक खास अवधि है।
अतः कहा गया है कि हम इस अवसर का लाभ उठायें और हम प्रार्थना में एक हों ताकि मानव इस ग्रह का सम्मान कर सके। हम विश्व के ऐसे लोगों के लिए अपने पूरे हृदय से प्रार्थना करें जो स्वार्थ और तिरस्कार से क्षतिग्रस्त पर्यावरण के कारण पीड़ित हैं।
पत्र में कहा गया है कि मानवीय तृष्णा तथा मानव प्राणी एवं समस्त सृष्टि के प्रति उदासीनता के कारण जीवन के तंत्र को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।
कहा गया है कि "प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित प्रयोग के कारण विनाश एवं प्रदूषण के द्वारा हम ईश्वर के कार्य पर दर्दनाक घाव कर रहे हैं और आधुनिक समाज की जीवनशैली के परिणाम पूरे विश्व में दिखाई पड़ रहे हैं।
पत्र में आग्रह किया गया है कि स्वार्थ और अलगाव के चक्र को रोका जाए क्योंकि हम सभी मानव परिवार के सदस्य हैं। अतः हम क्षमा मांगते हुए, अपने हृदय परिवर्तन करें, न्याय के बीज बोयें एवं उदारता के फल को बढ़ने दें। इस प्रकार हम सृष्टि के उद्धार को सहयोग दे सकेंगे।
सृष्टि की सुन्दरता और अच्छाई के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद देना न भूलें और उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो हमारी अपव्ययिता, लोलुपता एवं उदासीनता के कारण कष्ट उठा रहे हैं।
यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों और यूरोपीय कलीसियाओं के सम्मेलनों ने निमंत्रण दिया है कि ख्रीस्तीय एवं भली इच्छा रखने वाले सभी लोग सृष्टि के प्रति अपनी जिम्मेदारी लें ताकि हम अच्छे कारिंदे की तरह ठोस और विवेकपूर्ण कदम उठा सकें और जैविक विविधता के संरक्षण के माध्यम से असमानता से लड़ सकें।
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