मानसून त्रासदियों से निपटने के लिये ठोस उपायों की मांग
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
महाराष्ट्र, शुक्रवार, 5 जुलाई 2019 (ऊका समाचार): भारत के पश्चिमी महाराष्ट्र राज्य में तूफान से जानमाल की हानि के बीच भारतीय कलीसिया ने भविष्य में मानसून की त्रासदी से निपटने के लिए सरकार से ठोस उपायों की मांग की है। विगत सप्ताह मूसलाधार वर्षा के दौरान कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
महाराष्ट्र में वर्षा से तबाही
एक बड़े हादसे में, 03 जुलाई को रत्नागिरी जिले का तिवारी बांध अपनी सीमाओं से बाहर हो गया, जिससे कम से कम सात गाँवों में पानी भर गया और 12 घर बह गए। 20 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है तथा कई लोग लापता हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, बांध की दीवार जो एक दिन पहले ही बहने लगी थी उसमें पहले से ही दरारें विकसित हो गई थीं।
एक अन्य घटना में, 02 जुलाई के शुरुआती घंटों में मुम्बई की एक झुग्गी झोपड़ी में एक दीवार के ढह जाने से कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई थी।
धर्माध्यक्ष जोशुआ मार इग्नेशियस
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उपाध्यक्ष धर्माध्यक्ष जोशुआ मार इग्नेशियस ने कहा कि उक्त त्रासदियाँ सरकार के लिए सावधानी बरतने की चेतावनी थी। ऊका समाचार से उन्होंने कहा, सरकार को जीवन की सुरक्षा के लिये कुछ ठोस उपाय करने होंगे। उन्होंने कहा "राज्य में मौसम की भविष्यवाणी की सुविधा है इसलिये जानमाल की हानि को रोकने के उपाय किये जा सकते थे।"
धर्माध्यक्ष एग्नेलो रूफीनो ग्रेशियस
मुम्बई के सेवानिवृत धर्माध्यक्ष एग्नेलो रूफीनो ग्रेशियस ने कहा कि यदि सरकारी अधिकारियों ने अनिवार्य निरीक्षण किया होता और अन्य पूर्व-उपाय किए होते तो दोनों त्रासदियों से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा हमारे पास तकनीकियाँ उपलब्ध हैं इसलिये सरकार को लगातार वर्षा के परिणामों को पहले से आँक लेना चाहिये था।
प्रतिवर्ष वर्षा के मौसम में भारत के लोगों के कई इलाकों को प्राकृतिक प्रकोप का सामना करना पड़ता है। 2017 में वर्षा ऋतु के दौरान बाढ़ के कारण 1000 से अधिक लोगों के प्राण चले गये थे तथा लगभग तीन करोड़ लोग विस्थापित हो गये थे। इसी प्रकार 2018 में लगातार वर्षा के कारण केरल राज्य में भूस्खलन एवं बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी जिसमें कम से कम 500 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। इसी बीच, भारत के पूर्वी क्षेत्रों में बाढ़ की वजह से लगभग आठ लाख लोग बेघर हो गये थे।
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