"लोगों की सेवा में", धर्माध्यक्षीय अभिषेक में कार्डिनल परोलिन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
समारोह का अनुष्ठान वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने किया। संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें महाधर्माध्यक्ष का दर्जा प्रदान किया है।
कार्डिनल परोलिन ने समारोह के दौरान उपदेश में येसु के शब्दों को दुहराते हुए कहा, ''जो पहला होना चाहता है, वह सब से पिछला और सब का सेवक बने''। (मार. 9˸35)
उन्होंने महाधर्माध्यक्ष को सम्बोधित कर कहा, "महाधर्माध्यक्ष का सम्मान प्राप्त करना एवं संत पापा के प्रतिनिधि नियुक्त किया जाना, एक उपहार एवं एक मिशन है जो आपको दिया गया है ताकि आप एक उत्साही चरवाहे के रूप में कलीसिया के समुदाय की सेवा कर सकें।"
धर्माध्यक्ष – ईश्वर की उपस्थिति का साक्ष्य एवं चिन्ह
कार्डिनल परोलिन ने कहा कि ईश्वर अपने सामर्थ्य को प्रकट करने के लिए पहचान और आज्ञा पालन नहीं चाहते बल्कि वे अपना प्रेम प्रकट करना चाहते हैं। यही कारण है कि वे सामर्थ्य एवं संस्कृति के केंद्रों से दूर उपनगरों में गये। उन्होंने सामान्य एवं दीन-हीन लोगों को चुना और उन्हें सुसमाचार का प्रचार करने दुनिया में भेजा जो पवित्र आत्मा की शक्ति से महान कार्य सम्पन्न किये एवं शहीद होने तक साक्ष्य दे सके।
कार्डिनल ने कहा कि आज भी ईश्वर ने अपने इस तरीके को नहीं बदला है, वे प्रत्येक को विशिष्ट वरदान एवं भूमिका प्रदान करते हैं तथा कृपा देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का चिन्ह बनाते हैं। उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षीय अभिषेक ईश्वर की शिक्षा की उदघोषणा करने, उनका माध्यम बनने तथा संस्कारों के अनुष्ठान द्वारा समुदाय का निर्माण एवं उसे सुदृढ़ करने के लिए एक व्यक्ति का विशेष रूप से चुनाव है।
अफ्रीका में शांति एवं वार्ता के माध्यम
नये धर्माध्यक्ष का जन्म 29 नवम्बर 1965 को हुआ था वे 26 मई 1991 को पुरोहित बने। कार्डिनल परोलिन ने याद किया कि गिनी के नये प्रेरितिक राजदूत ने रोम में लम्बे समय तक सेवा दी है एवं विश्व को परमधर्मपीठ की राजनयिक सेवा 1995 से ही प्रदान की है। उन्होंने जोर्जिया, सेनेगाल, ऑस्ट्रिया, यूक्रेन, कजाकिस्तान, ब्राजील में परमधर्मपीठ के विदेशों के साथ संबंध के मामले में अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं।
कार्डिनल परोलिन ने 26 मार्च 2019 को संत पापा फ्राँसिस द्वारा सौंपी गयी जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत पापा फ्राँसिस ने मोनसिन्योर तायमोन तितुस केमिएक को गिनी एवं माली देशों का प्रेरितिक राजदूत नियुक्त किया है जो मुस्लिम बहुत देश हैं जहाँ ख्रीस्तीय धर्म का प्रचार पुराना नहीं है। यद्यपि वहाँ ख्रीस्तीय समुदाय एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में है तथापि सुसमाचार प्रचार का कार्य तेजी से हो रहा है एवं देश में मेल-मिलाप तथा प्रजातंत्र स्थापित करने में इसकी बड़ी भूमिका है।
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