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खजूर रविवार को प्रार्थना करते बच्चे खजूर रविवार को प्रार्थना करते बच्चे 

भारतीय अदालत ने गुड फ्राइडे को सार्वजनिक अवकाश बहाल किया

15 अप्रैल के आदेश मुम्बई हाईकोर्ट ने दमन और दीव के संघ शासित क्षेत्रों, साथ ही दादरा और नगर हवेली को राजपत्रित छुट्टियों की सूची में गुड फ्राइडे को वापस लाने के लिए कहा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, बुधवार 17 अप्रैल 2019 (उकान) : मुम्बई हाईकोर्ट ने पश्चिमी भारत में दो पूर्व पुर्तगाली क्षेत्रों के प्रशासन को जो अब संघीय शासन के तहत है, सार्वजनिक अवकाश के रूप में गुड फ्राइडे को बहाल करने का निर्देश दिया है।

15 अप्रैल के आदेश ने दमन और दीव के संघ शासित क्षेत्रों, साथ ही दादरा और नगर हवेली को राजपत्रित छुट्टियों की सूची में गुड फ्राइडे को वापस लाने के लिए कहा, जिसका अर्थ स्कूलों और बैंकों को अवकाश मिलनी चाहिए।

संघीय सरकार ने ख्रीस्तीय छुट्टियों को एक प्रतिबंधित अवकाश के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया था,  सभी कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान कार्य करेंगे लेकिन अधिकांश कर्मचारियों को अवकाश लेने का विकल्प है।

ख्रीस्तियों में विरोध

उन क्षेत्रों के ख्रीस्तीय पिछले महीने विरोध करने लगे जब उन्होंने सूची में बदलाव को देखा, जिसके बाद मामला उच्च न्यायालय में ले जाया गया।

दमन के ख्रीस्तीय नेता अतोनी फ्रांसिस्को डुआर्ट ने अदालत में याचिका दी, जिसमें कहा गया कि पिछला परिवर्तन असंवैधानिक और इन प्रदेशों में रहने वाले ख्रीस्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

उन्होंने कहा कि उनकी धार्मिक छुट्टियों का भी सम्मान किया जाना चाहिए, भले ही ख्रीस्तीय केवल भारत की 1.35 अरब आबादी का एक छोटा-सा हिस्सा बनाते हैं।

16वीं शताब्दी में जब से पुर्तगाली भारत का हिस्सा थे, तब से ख्रीस्तीय पवित्र दिनों में दो क्षेत्रों में छुट्टियां रहती थी। भारत द्वारा औपनिवेशिक शासन समाप्त करने के बाद यह परंपरा जारी रही और 1961 में प्रदेशों को समाप्त कर दिया गया। याचिका में कहा गया है कि चूंकि ये क्षेत्र भारतीय शासन के अंतर्गत आते हैं, इसलिए गुड फ्राइडे को हमेशा सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया जाता है।

सरकारी वकील एस.एस. देशमुख ने अदालत को बताया कि राजपत्रित छुट्टियों का कोटा समाप्त हो गया था और इसलिए, गुड फ्राइडे को इस साल एक वैकल्पिक अवकाश घोषित किया गया था।

गुड फ्राइडे

गुड फ्राइडे को ख्रीस्तीय प्रभु मसीह के दुखभोग और मृत्यु का मातम मनाते हैं  उस दिन सभी 29 राज्यों में, साथ ही सात संघ शासित प्रदेशों में से पांच में सार्वजनिक अवकाश है।

भारतीय काथलिक धर्मध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआइ), अलायंस डिफेंडिंग फ्रीडम (एडीएफ) एडवोकेसी ग्रुप, गोवा महाधर्मप्रांत और दमन सभी ने याचिका का समर्थन किया।

काथलिक धर्माध्यक्षों ने पिछले महीने के मध्य में अनुरोध किया कि कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में संसदीय चुनावों के लिए 18 अप्रैल की तारीख बदल दी जाए, क्योंकि उसी दिन पवित्र गुरुवार ख्रीस्तियों का विशेष प्रार्थना धर्मविधि का दिन है।

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थियोदोर मस्करेन्हास ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला "पवित्र सप्ताह के दौरान ख्रीस्तीय समुदाय के लिए ईश्वर का उपहार है।"

उन्होंने कहा, "हम उन सभी के लिए बहुत आभारी हैं, जिन्होंने इस याचिका की सफलता के लिए प्रार्थना की।"

दोनों क्षेत्रों की कुल जनसंख्या लगभग 600,000 है, लेकिन ख्रीस्तीय केवल 9,000 की संख्या में हैं, ज्यादातर काथलिक हैं। 

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17 April 2019, 17:00