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कुपोषण के शिकार कुपोषण के शिकार  

कुपोषण के खिलाफ कारितास इंडिया का चालीसा अभियान

कारितास इंडिया ने भूख से लड़ने हेतु चालीसा काल में एक आंदोलन जारी किया है, जिसके माध्यम से लोगों में एकात्मता, खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा सेवा एवं सभी नागरिकों में प्रतिष्ठित जीवन के प्रति जागरूकता उत्पन्न किया जाएगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, बृहस्पतिवार, 14 मार्च 19 (वाटिकन न्यूज)˸ "पोषण हमारा अधिकार" ये है 2019 में भारत के काथलिक उदारता संगठन कारितास इंडिया द्वारा चालीसा काल में अभियान की विषयवस्तु।

कारितास इंडिया ने भूख से लड़ने हेतु चालीसा काल में एक आंदोलन जारी किया है, जिसके माध्यम से लोगों में एकात्मता, खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा सेवा एवं सभी नागरिकों में प्रतिष्ठित जीवन के प्रति जागरूकता उत्पन्न किया जाएगा।   

2019 के चालीसा काल की इस विषयवस्तु "पोषण हमारा अधिकार" को विगत माह जारी किया गया। इस आंदोलन का उद्देश्य है कुपोषण के संकट से लड़ना जो मानवता के लिए दुखद एवं लज्जाजनक है।  

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उदारता विभाग के अनुसार देश को अपने संसाधनों के साथ अपने निवासियों को खिला सकना चाहिए, यद्यपि यह कुपोषण के शिकार महिलाओं एवं बच्चों के एक बड़े दल का घर बना हुआ है।   

कुपोषण

आधिकारिक आंकड़े के अनुसार भारत के 38.4 प्रतिशत बच्चे सूखा रोग से पीड़ित हैं, 35.8 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के कारण कम वजन के शिकार हैं। आर्थिक विकास के पर्याप्त संसाधनों के बावजूद, देश में लाखों बच्चे भूख से पीड़ित हैं। कुपोषण एक दुर्बल करने वाली स्थिति है जो बच्चों के प्रति रक्षा प्रणाली को कमजोर करती और उन्हें बीमारियों के संपर्क में लाती है, यही कारण है कि मृत्यु दर बढ़ जाती है।

कारितास इंडिया के कार्याकारी निदेशक फादर जोल्ली पुथेनपुरा ने कहा, "कुपोषण अत्यन्त गरीबी एवं असमानता का परिणाम है जो व्यक्ति और समाज दोनों को बुरी तरह प्रभावित करता है तथा परिवार एवं समाज में बीमारी का भार बढ़ाता है।"

उन्होंने वाटिकन फिदेस न्यूज को बतलाया कि "चालीसा काल जिसमें विश्वासियों से मन-परिवर्तन करने एवं ईश्वर तथा पड़ोसियों से प्रेम करने का आह्वान किया जाता है हम चाहते हैं कि कलीसियाई समुदायों में गरीब, भूखे, कुपोषण के शिकार लोगों, किसान एवं विस्थापितों की स्थिति के बारे जागरूकता उत्पन्न की जाए।

बाईबिल बनाम कुपोषण, भूख

फादर पुथेनपुरा ने कहा कि चालीसा काल के इस आंदोलन के लिए बाईबिल एक प्रेरणा है। येसु ने भूखे लोगों की भीड़ देखी तथा वे उनके प्रति दया से द्रवित हो गये। उत्पति ग्रंथ में हम पाते हैं कि कुपोषण, व्यक्ति में ईश्वर के प्रतिरूप को मानवता के गुण से वंचित करता है।   

फादर ने कहा कि कलीसिया को एक उत्प्रेरक के रूप में अपनी भूमिका निभानी चाहिए और विवेक से काम करना चाहिए ताकि समुदाय गरीबों और भूखों को खिलाने के लिए अपनी एकजुटता और प्रतिबद्धता व्यक्त करें।"

कारितास इंडिया के सहायक कार्यकारी निदेशक ने कहा, "येसु की करुणा को सभी के जीवन में अनुभव करने की आवश्यकता है ताकि समाज से भूख और कुपोषण के दाग को मिटाया जा सके।” उन्होंने कहा कि संत पापा हमसे आग्रह करते हैं कि हम उन लोगों की मदद करने के लिए आवश्यक कदम उठायें जो हताश हालात में हैं क्योंकि गरीब इंतजार नहीं कर सकते।

सतत् विकास लक्ष्य

भारत की काथलिक कलीसिया 17 सतत् विकास लक्ष्य से परिचित है जिसको 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने 2030 तक प्राप्त करने का निश्चय किया है।

सतत् विकास लक्ष्य में दूसरा नम्बर है भूख को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना तथा पोषण को विकसित करना एवं उन्नत कृषि को बढ़ावा देना।  

फादर पुथेन पुरा ने कहा कि भारत का काथलिक समुदाय अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहता है।

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14 March 2019, 16:54