9 स्पानी गुरुकुल विद्यार्थी शहीद धन्य घोषित 9 स्पानी गुरुकुल विद्यार्थी शहीद धन्य घोषित  

स्पानी गुरुकुल के नौ विद्यार्थी शहीद धन्य घोषित किये गये

एंजेल कुआर्टस क्रिस्टोबल और उनके 5 साथियों को संत प्रकरण हेतु बने परमधर्मपीठ के अध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो बेच्चू ने शनिवार 9 मार्च को ओवियेडो में धन्य घोषित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

ओवियेडो, सोमवार, 11 मार्च 2019 (वाटिकन न्यूज) :  1936 और 1937 के बीच मारे गए स्पानी शहीदों के दूसरे समूह में एंजेल कुआर्टस क्रिस्टोबल और उनके 5 साथी "अपने विश्वास के कारण" शहीद हुए। इनके धन्य घोषणा समारोह का अनुष्ठान संत पापा के प्रतिनिधि एवं संत प्रकरण हेतु बने परमधर्मपीठ के अध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो बेच्चू ने शनिवार 9 मार्च को ओवियेडो में संपन्न किया।

समारोह के दौरान कार्डिनल बेच्चू ने इस बात को जोर देते हुए कहा, "जिसे प्यार करते हैं, उसके लिए अपना जीवन देने से बड़ा और कोई दूसरा सबूत नहीं है": यह उन नौ शहीदों की शिक्षा है, जिन्हें आज हम धन्य घोषित करते हैं, सभी कम उम्र के युवा थे, जिन्होंने यंत्रणा के डर से अपने विश्वास के छिपाने के बजाय मरना पसंद किया। उन सभी गुरुकुल विद्यार्थियों को येसु से प्यार था और उन्होंने अपना जीवन अर्पित करने के लिए पहले से ही एक स्पष्ट विकल्प बना रखा था। उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया। मसीह के प्रति निष्ठावान बने रहने का चुनाव सभी पुरोहितों को उनके बुलाहट को गंभीरता से लेने की शिक्षा देता है।  

गृहयुद्ध के कगार पर स्पेन

ऑस्टूरियस में 1934 एक बहुत ही कठिन वर्ष था: खनिकों के संघ की मांग में कई गुना बढ़ोतरी, अराजकतावादी की ताकतें गणतंत्र संविधान को समाप्त करने और समाजवादी राज्य की स्थापना के उद्देश्य से एकजुट हो गईं। इतिहास में यह स्पानी गृहयुद्ध के रूप में याद किया जाता है। 5 अक्टूबर, 1934 को गार्डिया नागरिकों पर हमले के साथ युद्ध शुरु हुआ। हर जगह झड़पें होने लगीं, लेकिन सबसे ज्यादा खून खराबा ओवियेडो में हुआ, जहां कई लोग, विशेषकर पुरोहित और धर्मसंघी, बिना किसी कारण के मारे गये। स्पानी गृह युद्ध के शिकार करीब 6832 लोग थे। जिसमें पुरोहित, धर्मसंघी धर्मबहनें और लोक धर्मी शामिल थे। उन्हें सिर्फ इसलिए मार डाला गया क्योंकि उन्होंने काथलिक धर्म को स्वीकार किया था।

क्रिस्टोबल और साथी

1934 की गर्मियों के अंत में, एंजेल क्वार्टस क्रिस्टोबल उन कई गुरुकुल विद्यार्थियों में से एक थे, जिन्होंने अपने परिवार में छुट्टियाँ को समाप्त कर ओवियेडो के मेजर सेमिनरी में लौट आए जहाँ उन्होंने अध्ययन किया और जहाँ उन्हें कुछ महीने पहले उपयाजक अभिषिक्त किया गया था। नौ भाई-बहनों में से आठवें क्रिस्टोबल अपने परिवार का गौरव थे। संघर्ष को देखते हुए, पूरे परिवार के लोगों ने उसे ओवियेडो वापस नहीं जाने की सलाह दी। हालांकि उसने उनकी बात नहीं मानी पर उन्हें पता था कि प्रभु उसे वहां चाहते हैं, अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए वह वापस लौट गया। उसी की तरह उसके पाँच साथी भी वापस लौटे। और कम उम्र में ही अपने विश्वास के कारण शहीद हो गये।

 उनके नाम निम्न हैंः मारियानो सुआरेज़ फर्नांडीज जिसने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प किया क्योंकि उस वर्ष उन्हें अपनी व्रत लेना था।

 जेसुएस प्रेटो लोपेज़, एक बहुत ही गरीब परिवार से था, उसकी पढ़ाई का खर्च एक पुरोहित देते थे।

सेसर गोंज़ालो ज़ुरो फ़ानजुल, जिसने मरते समय जोर से चिल्लाकर कहा, "लंबे समय तक जीवित रहने वाले मसीह! लंबे समय तक जीवित स्पानी काथलिक!

जोस मारिया फर्नांडीज मार्टिनेज, अनाथ; एक खनिक का बेटा।

समूह में सबसे युवा 18 साल का जुआन जोस कास्टोन फर्नांडीज। उनमें से सबसे बड़ा केवल 24 साल का था।

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11 March 2019, 17:06