संत पापा पौल षष्ठम संत पापा पौल षष्ठम 

29 मई को संत पापा पौल षष्ठम का पर्व

संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया में संत पापा पौल छाटवें के महत्वपूर्ण कार्यों एवं ईश प्रजा के बीच उनकी पवित्रता के आदर्श को प्रस्तुत करते हुए, काथलिक कलीसिया के कैलेंडर में 29 मई को उनका पर्व घोषित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा पौल षष्ठम के पवित्र जीवन, उनके कार्यों एवं वचनों द्वारा उनके साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए संत पापा फ्राँसिस ने ईश प्रजा के निवेदन एवं कामना का स्वागत किया है तथा आदेश दिया है कि संत पापा पौल षष्ठम का पर्व (की यादगारी) 29 मई को रोमन कैलेंडर में वैकल्पिक स्मृति के रूप में शामिल किया जाए।

दिव्य उपासना तथा संस्कारों के अनुष्ठान हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ की आज्ञप्ति अनुसार इस नये पर्व को सभी धर्मविधिक कैलेंडरों में शामिल किया जाएगा। आज्ञप्ति का अनुवाद कर, विभाग द्वारा पुष्ट एवं परमधर्मपीठीय समितियों द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। आज्ञप्ति में संत पापा पौल षष्ठम के जीवन, कार्य एवं शिक्षा का वर्णन किया गया है।

29 मई ˸ उनका पुरोहिताभिषेक

कार्डिनल रोबर्ड साराह ने एक टिप्पणी में लिखा है कि संत पापा पौल षष्ठम का पर्व 29 मई को इसलिए रखा गया है क्योंकि इसी दिन 1920 में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था। यदि एक संत वह है जो अपने जीवन को ख्रीस्त में सुदृढ़ रखता तथा उनकी कृपा से दिव्य फल उत्पन्न करता है, तब संत पौल षष्ठम ने प्रभु के कई बुलाहटों का प्रत्युत्तर दिया है। उन्होंने बपतिस्मा ग्रहण किया था, वे पुरोहित, धर्माध्यक्ष, एवं परमधर्माध्यक्ष बने तथा अब ईश्वर को आमने-सामने देखते हैं। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि ईश्वर को ईमानदारी पूर्वक खोजने, प्रार्थना, पश्चाताप तथा मन- परिवर्तन के द्वारा ही हम सच्चा ख्रीस्तीय जीवन एवं प्रेरितिक जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं तथा पवित्रता में बढ़ने हेतु प्रभु के बुलावे जी सकते हैं।

संत पौल छाटवें, मैं माता कलीसिया को उदार रूप में प्रकट करूँगा

1931 में परमधर्मपीठ में, एक पुरोहित के रूप में जब संत पापा पौल छाटवें ने सेवा देना आरम्भ किया था, तब वे एक साधारण पुरोहित के रूप में थे किन्तु उन्होंने असाधारण ख्रीस्तीय जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने काथलिक आध्यात्मिक जीवन में आवश्यक और सामान्य बातों के प्रति प्रेम जगाना चाहा था, जिसके कारण उन्होंने लिखा था, "मैं माता कलीसिया को उदार रूप में प्रस्तूत करूँगा, उसकी धर्मविधि मेरी आध्यात्मिकता के लिए सबसे पसंदीदा नियम होगी तथा यूखरिस्त के रहस्य पर चिंतन करते हुए हर जगह उसके बलिदान से अपनी जरूरतों को प्राप्त करूँगा, जो ख्रीस्तयाग के प्रति उनकी भक्ति भावना को दर्शाता है।"

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07 February 2019, 16:57