मिशनरीस ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय आश्रम में पुलिस मिशनरीस ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय आश्रम में पुलिस 

न्याय के इंतजार में मदर तेरेसा की धर्मबहन

मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहन सिस्टर कोनसिलिया बाखला एवं निर्मल हृदय आश्रम की कर्मचारी अनिमा इंदवार को बाल तस्करी के आरोप में 222 दिनों तक जेल में रखा गया हैं। ये दो झारखंड के जेल में हैं जिन्हें बीमारी के कारण पीड़ित होने के बावजूद जमानत नहीं मिल रही है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सिस्टर कोनसिलिया बाखला एवं अनिमा इंदवार को बाल तस्करी के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। सिस्टर कोनसिलया मधुमेह और वैरिकोज़ की बीमारी से पीड़ित है जिन्हें चिकित्सा हेतु बरी किया जाना चाहिए किन्तु पुलिस की लापरवाही के कारण जमानत नहीं मिल रही है।

राँची स्थित निर्मल हृदय आश्रम झारखंड में, मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों द्वारा संचालित 18 केंद्रों में से एक है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास के अनुसार, सिस्टर कोनसिलिया की सभी धर्मबहनें, सुपीरियर्स, धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित उनकी निर्दोषता पर यकीन करते हैं किन्तु जिस धीमी गति से न्याय की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है यह पुलिस बल के दुरूपयोग, राजनीतिक अधिकारियों की साज-बाज और न्याय प्रणाली की उदासीनता के कारण निर्दोष महिला के लिए सबूतों की हेराफेरी की ओर संकेत है। उन्होंने कहा कि हम केवल असहाय होकर आशापूर्ण नजरों से स्वर्ग की ओर देखते रहते हैं जमानत का हर प्रयास हमारी न्यायपालिका के द्वारा कई स्तरों पर खारिज कर दिया जाता है।

फरवरी 2018 में शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया था कि हमारे आपराधिक न्यायशास्त्र का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है जिसके अनुसार जमानत देना सामान्य नियम है और किसी व्यक्ति को जेल या सुधार गृह में रखना एक अपवाद है। दुर्भाग्य से, इन बुनियादी सिद्धांतों में से कुछ के परिणाम के साथ दृष्टि खो गई है जिससे कई व्यक्तियों को, लंबे समय तक जेल में रखा जाता है। जबकि यह हमारे आपराधिक न्यायशास्त्र या हमारे समाज के लिए कोई अच्छा काम नहीं करता है।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि यह मापदंड सिस्टर कोनसिलिया पर लागू नहीं है उनके महिला होने, उनकी बीमार और वृद्ध अवस्था भी न्यायधीशों पर कोई असर नहीं डालता कि उसे जमानत मिल सके।    

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20 February 2019, 14:43