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धर्मबहनें प्रार्थना करते हुए धर्मबहनें प्रार्थना करते हुए 

धर्मसमाजी पुरूष और महिलाएँ दुराचार से लज्जित

"बाल यौन दुराचार हर जगह और हर समय बुरा है, इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।" उक्त बात विश्व पुरूष एवं महिला धर्मसमाजियों के अधिकारियों ने कही। 21 से 24 फरवरी तक नाबालिगों की सुरक्षा हेतु वाटिकन में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

विभिन्न धर्मसमाजों के अधिकारियों ने माफी मांगते हुए कहा, "हम अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं तथा दुहराते हैं कि हम संत पापा के साथ हैं। हम उनके साथ कार्य करने के लिए अपने प्रयासों के द्वारा प्रतिबद्ध हैं ताकि कलीसिया सुसंगत, विश्वसनीय और एकीकृत तरीके से आगे बढ़ सके, यही वास्तविक चंगाई, सच्चा नवीनीकरण, देखने के लिए नई आँख एवं सुनने के लिए नया कान है।  

सुपीरियर जेनेरलों के अंतरराष्ट्रीय संघ (यूआईएसजी) जो काथलिक महिला धर्मसमाजियों के धर्मसंघ की सुपीरियर जेनेरलों को एक साथ लाता है तथा काथलिक पुरूष धर्मसमाजियों के सुपीरियर जेनेरलों के संघ (यूएसजी) ने बुधवार को, एक संयुक्त घोषणा पत्र द्वारा नाबालिगों की सुरक्षा पर विचार करने हेतु संत पापा द्वारा बुलाये गये सम्मेलन के प्रति अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

बच्चे सबसे कमजोर

उन्होंने घोषणा पत्र में लिखा, "धर्मसमाजियों के रूप में हमारे कार्यों के दरमियान हम कई संस्थाओं से होकर गुजरते हैं जहाँ बच्चे यौन दुराचार के शिकार हुए हैं, तिरस्कृत हैं, कुपोषण के शिकार एवं उपेक्षित हैं, बाल सैनिक हैं, बाल तस्करी, यौन दुराचार, शारीरिक एवं मानसिक शोषण के शिकार हैं। वे हमें पुकार रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि एक प्रौढ़ व्यक्ति के रूप में, एक ख्रीस्तीय और एक धर्मसमाजी के रूप में वे ऐसा कार्य करना चाहते हैं ताकि उनके जीवन में बदलाव आ सकें और उन्होंने जिस परिस्थिति का सामना किया है वे उससे बाहर निकल सकें।

उन्होंने बच्चों की दुर्बलता पर गौर किया जिसके कारण वे दूसरों के द्वारा प्रयोग किये जाते अथवा शोषण के शिकार होते हैं।   

अधिकारियों का शोषण

सुपीरियर जेनेरलों ने इस बात पर ध्यान दिया कि 21 से 24 फरवरी की सभा में, कलीसिया में अधिकारियों द्वारा बाल यौन दुराचार पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, खासकर, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों पर, जो एक दुखद कहानी है जो दशकों से जारी है।

उन्होंने कहा, "हम शर्म से अपना सिर झुकाते हैं कि ये दुराचार हमारे धर्मसमाजों, संस्थाओं और कलीसिया में हुए हैं। हमें इस बात का अधिक शर्म है कि हमने इस बात को महसूस नहीं किया और अधिकारियों के रूप में चेतावनी के संकेत को नहीं देख सके एवं उन्हें गंभीरता से नहीं ले सके।"

बदलाव

धर्मसमाजियों ने स्वीकार किया कि वाटिकन में 3 दिनों की सभा काफी नहीं है किन्तु उन्हें पवित्र आत्मा की शक्ति पर भरोसा है जो कलीसिया में बदलाव ला सकती है तथा  सद इच्छा लाते हुए जवाबदेही की महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू किये जा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि बाल यौन दुराचार हर जगह और हर समय बुरा है इस पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।  

कार्य क्षेत्र

संत पापा फ्राँसिस के आदर्शों का अनुसरण करते हुए धर्मसमाजों के अधिकारियों ने गलतियों को दीनता पूर्वक स्वीकार किया तथा निश्चय किया कि वे पीड़ितों तक पहुँचने की कोशिश करेंगे और उनका साथ देंगे एवं उनकी दुखद कहानियों को सुनेंगे।  

यूआईएसजी और यूएसजी ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रशिक्षण एवं आध्यात्मिकता के क्षेत्र में वे बच्चों की सुरक्षा को बढ़ावा देंगे।

धर्मसमाजियों द्वारा जो स्कूल और अस्पताल चलाये जाते हैं उनमें बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बच्चों एवं युवाओं की सुरक्षा हेतु प्रशिक्षण के कार्यक्रम को भी धर्मसमाजी प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चाहे जो भी संस्कृति एवं पृष्टभूमि के हों बच्चों पर यौन दुराचार को कभी अनुमति नहीं दी जाएगी और न ही उसे सहन किया जाएगा।

सुपीरियर जेनेरलों की कामना है कि उनके आध्यात्मिक साधना केंद्रों में उन लोगों के लिए जो दुराचार के शिकार हुए हैं तथा मदद की आशा करते हैं, विशेष, कार्यक्रम चलाये जाएँ ताकि उन्हें उनकी कठिनाई से बाहर निकलने, विश्वास में बढ़ने तथा जीवन की सार्थकता को पाने में सहायता मिल सके। यद्यपि कुछ पीड़ित लोग, कलीसिया से दूर रहना चाहते हैं तथापि धर्मसमाजी उन लोगों का विनम्रता पूर्वक साथ देना चाहते हैं जो चंगाई की यात्रा में आगे बढ़ना चाहते हैं।  

उन्होंने कहा कि जो लोग बार-बार दुराचार के शिकार होते हैं उनमें दोष, शर्म और पाप की भावना भर जाती है जबकि वास्तव में उनके प्रति पाप की गयी है।

एक साथ चलना और कार्य करना

उन्होंने कहा कि हम विनम्रता के साथ कार्य करना चाहते हैं। हम अपने दागों को देखना चाहते हैं। हम शक्ति के हर दुरूपयोग को प्रकट करना चाहते हैं। हम सेवा करने वालों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, पारदर्शिता, भरोसा, ईमानदारी एवं सच्चे पछतावे के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

धर्मसमाजों के अधिकारी दुराचार से संघर्ष करने हेतु माता-पिता के साथ काम करना चाहते हैं विशेषकर, माताओं के साथ। वे स्वीकार करते हैं कि उन्होंने पीड़ितों के दुःखों को पूरी तरह महसूस नहीं कर पाया है। उन्होंने ईमानदारी से माफी मांगने और दुःख व्यक्त करते हुए, इस संकट में कमी लाने हेतु मदद करने के लिए उनके साथ काम करने के लिए सभी धर्मसमाजियों को आमंत्रित किया है।

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20 February 2019, 14:34