कोढ़ की बीमारी से पीड़ित एक महिला कोढ़ की बीमारी से पीड़ित एक महिला 

विश्व रोगी दिवस पर कार्डिनल डी रोजारियों के विचार

एक साक्षात्कार में बंगलादेश के कार्डिनल पैट्रिक डी रोजारियो ने कहा कि मदर तेरेसा के "आनन्द के शहर" में विश्व रोगी दिवस, रोगियों के साथ एक साम्य है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

27वेँ विश्व रोगी दिवस काथलिक कलीसिया में सोमवार को बंगाल की राजधानी कलकत्ता में मनाया जाएगा।

विश्व रोगी दिवस की स्थापना, संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 13 मई 1992 को लूर्द की माता मरियम के पर्व के दिन 11 फरवरी को किया था। इसका उद्देश्य था रोगियों तथा उनकी देखभाल करने वालों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना एवं मानवीय पीड़ा को कम करने का प्रयास करना। इस तरह प्रथम विश्व रोगी दिवस सन् 1993 को लूर्द की माता मरियम के तीर्थस्थल में मनाया गया था।

उसी समय से इस दिवस को हर साल एक खास स्थान पर मनाया जाता है और संत पापा हरेक साल इस विषय पर अपना संदेश देते हैं।  

संत पापा के विशेष दूत कार्डिनल पैट्रिक डी रोजारियो

संत पापा फ्राँसिस ने बंगलादेश के कार्डिनल पैट्रिक डी रोजारियो को 11 दिसम्बर को 2019 में विश्व रोगी दिवस के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया। इस वर्ष इसकी विषयवस्तु होगी, "तुम्हें मुफ्त में मिला है मुफ्त में दे दो।" (मती. 10:8).

वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कार्डिनल डी रोजारियो ने संत पापा फ्राँसिस के प्रति आभार प्रकट किया कि उन्होंने उन्हें कलकत्ता में इस विशेष अवसर के लिए अपने विशेष दूत चुना है।

रोगियों के साथ ऐक्य

संत पापा द्वारा विशेष दूत नियुक्त किये जाने पर ढाका के महाधर्माध्यक्ष ने विभाजित बंगाल के दोनों ओर बंगाली भाषी लोगों के बीच एकता की भावना महसूस की।

कार्डिनल ने गौर का कि संत पापा फ्राँसिस ने विश्व रोगी दिवस के उपलक्ष्य में अपने संदेश में समन्वय पर जोर दिया है जिसका अर्थ है दूसरों को उदारता पूर्वक देना, क्योंकि हमने प्रभु से मुफ्त में पाया है। हमें अपने आपको उन लोगों के लिए विशेष रूप से अर्पित करना चाहिए जो बहुत अधिक जरूरतमंद हैं।

इसके संबंध में कार्डिनल का कहना है कि आनन्द का शहर कलकत्ता, रोगियों एवं कलकत्ता की मदर तेरेसा के साथ, गरीब और बीमार लोगों के लिए, ईश्वर की दया, प्रेम, उदारता एवं सेवा के प्रतीक बन जाएगा। कार्डिनल डी रोजारियो ने कहा कि वे मदर तेरेसा के साथ होने के अनुभव का इंतजार कर रहे हैं।

कलकत्ता –आज की गलीलिया

75 वर्षीय कार्डिनल ने कहा कि मदर तेरेसा कलकत्ता में थीं और आज भी हैं जो येसु का गलीलिया में अपने लोगों के बीच रहने का स्मरण दिलाती हैं। येसु के समय में गलीलिया में जो कुछ हुआ वह पूरे विश्व में फैल गया, उसी तरह, कलकत्ता जो आधुनिक गलीलिया कहा जा सकता है येसु के उसी संदेश का प्रचार कर रहा है। 

समारोह

कार्डिनल डी रोजारियो ने बतलाया कि 9-11 फरवरी को आयोजित विश्व रोगी दिवस में चिंतन, प्रार्थना और आपसी आदान-प्रदान, गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति दया एवं सहानुभूति प्रकट करना आदि कार्यक्रम शामिल है। 

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07 February 2019, 16:32