संत मदर तेरेसा का आशीर्वाद लेते हुए  दर्शनार्थी संत मदर तेरेसा का आशीर्वाद लेते हुए दर्शनार्थी 

भारत के ‘महान सुसमाचार प्रचारकों' पर बनी एक फ़िल्म

'महान सुसमाचार प्रचारकों' पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री को चेन्नई में सीसीबीआई की आमसभा में प्रदर्शित किया गया था। यह उन लोगों की गवाही प्रस्तुत करता है जो सुसमाचार प्रचारकों' से व्यक्तिगत रूप से मिले थे।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

चेन्नई, गुरुवार 10 जनवरी 2019 (एशिया न्यूज) :  'महान सुसमाचार प्रचारक'  तीन ख्रीस्तीयों के जीवन पर बनी एक फिल्म है जो ख्रीस्तियों के लिए एक आदर्श हैं उनके नाम हैं कोलकाता की संत मदर तेरेसा, धन्य सिस्टर रानी मरिया और ईश सेवक, फादर कोंस्टंट लीवन्स।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ग्रेसियस ओसवाल्ड ने एशियान्यूज को बताया, “फिल्म हृदयस्पर्शी है और तकनीकी दृष्टिकोण से एकदम सही है।"

 यह फिल्म विश्व ज्योति संचार द्वारा फादर आनंद मैथ्यू के निर्देशन में बनाई गई है। शॉट “अंग्रेजी में है और इसमें अनेक साक्षात्कार शामिल हैं।

संत मदर तेरेसा

एक प्रसिद्ध चित्रकार रीतु सिंह कई बार व्यक्तिगत रूप से संत मदर तेरेसा से उनके निवास स्थान में मिली थीं। चित्रकार रीतु बीमार थी और संत तेरेसा की प्रार्थना ने उसे चंगा कर दिया था। संत मदर तेरेसा ने उसकी चंगाई के लिए लूर्द की माता मरियम को जिम्मेदार ठहराया और इसलिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए आमंत्रित किया। रीतु सिंह मदर तेरेसा के साथ गांवों और गंदी बस्तियों में गई और हर बार वे गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने वाली धर्मबहनों द्वारा किए गए काम देखकर चकित रह जाती थीं।"

धन्य सिस्टर रानी मरिया

धन्य सिस्टर रानी मारिया की 1995 में इंदौर में चाकू से 54 बार वार कर हत्या कर दी गई थी। उनके जीवन के बारे में और ज्यादा जानकारी लेने के लिए फादर आनंद ने मध्य प्रदेश के कई गांवों की यात्रा की। एक गाँव में उन्होंने ताराचंद सोलंकी और उनकी पत्नी से मुलाकात की। वे उच्च जाति के थे पर शराब पीने के कारण अपने समाज से दूर हो गये थे। ताराचंद के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं था और वह सही रास्ता खो चुका था। तभी गाँव में उसकी मुलाकात सिस्टर मरिया से हुई और वह धीरे धीरे उनकी बातों को सुनना और उसपर अमल करना शुरु किया।

"सिस्टर रानी के मार्गदर्शन में, उन्होंने लोगों की मदद करने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया। उन्होंने अपने गांव में तीन साल के लिए सिस्टर रानी मरिया के साथ काम किया। गाँव वालों ने अपने गाँव का नाम बदलकर अब 'आनंद नगर'  रखा है। यह मध्य प्रदेश के देवास जिले में है।"

उन्होंने बताया कि सिस्टर के आने से पहले, "हमारा गाँव एक उजाड़ ज़मीन थी। पीने का पानी, बिजली, सड़क नहीं थी। हमारे पास कुछ भी काम नहीं था और इसलिए हमने पीने या बात करने में अपना समय बर्बाद किया। उसके आने पर सब कुछ बदल गया। उन्होंने शराब से होने वाली बीमारियों और जोखिमों के बारे में बताया। उन्होंने  हमारी बातें सुनी और शराब को बंद करने के लिए जोर दिया।"

उनकी पत्नी नानी बाई ने इस बात की पुष्टि की, कि उनके पति "शराब की एक बूंद तक नहीं लेते। गाँव के पुरुषों ने खेतों में काम करना शुरू कर दिया। पशुओं की देखभाल की और अधिक समय काम करने में बिताया।"

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10 January 2019, 14:37