काथलिक धर्मबहनों ने किया भारत में धर्मांतरण दावों से इनकार
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
भोपाल, बुधवार 5 दिसम्बर 2018 (उकान) : भारत के झारखंड राज्य में एक अदालत ने पुलिस को धर्मपरिवर्तन कराने की कोशिश करने के आरोप में चार धर्मबहनों के खिलाफ आरोप दर्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन धर्मबहनों की सुपीरियर कहती हैं कि यह बदला लेने के लिए किया गया है।
राज्य की राजधानी रांची में जिला अदालत ने शहर के कार्मेल स्कूल की प्रधानाध्यापिका और तीन अन्य धर्मबहनों के खिलाफ आरोप दायर करने के लिए पुलिस को निर्देश दिया। कार्मेल स्कूल शिक्षिका नालिनी नायक ने शिकायत की है कि ख्रीस्तीय बनने से इनकार करने पर उन्हें स्कूल से खारिज कर दिया गया था।
अपोस्तोलिक कार्मेल धर्मसमाज की प्रमुख ने कहा कि नालिनी नायक के दुर्व्यवहार की शिकायत पर बार-बार चेतावनी देने के बावजूद उनमें कोई परिवर्तन न होने की वजह से स्कूल की सेवा से खारिज किया गया।
रीजनल सुपीरियर सिस्टर डोरिस डिसूजा ने 4 दिसम्बर को उकान्यूज को बताया कि नालिनी नायक द्वारा अदालत में किया गया शिकायत बदला लेने हेतु किया गया है। "यह पूरी तरह से झूठा मामला है और हमारे 50 वर्षीय स्कूल की छवि को खराब करना है।"
आखिरी घटना में, नायक ने कथित रूप से 5 वर्षीय आदिवासी बच्चे को थप्पड़ मार दिया और उसकी त्वचा के रंग को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की। बच्चे के माता-पिता ने 26 जुलाई को उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और कार्रवाई की मांग की।
एक आंतरिक जांच समिति ने पाया कि उसने स्कूल और राज्य शैक्षणिक दिशा निर्देशों के मानदंडों का उल्लंघन किया था। इसके बाद नायक को बर्खास्त कर दिया गया।
स्कूल के अधिकारियों को अपने छात्रों और उनके माता-पिता से शिक्षक के बारे में 20 से अधिक शिकायतें मिलीं। सिस्टर डिसूजा ने कहा कि कई उल्लंघन के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध हैं।
नायक का दावा
नायक ने दावा किया कि ख्रीस्तीय बनने से इनकार करने पर पांच साल की सेवा के बाद 1 अक्टूबर को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
शिकायतकर्ता नायक ने कहा कि स्कूल के प्रिंसिपल सिस्टर डेलिया और अन्य तीन धर्मबहनें- एम. रेनिशा, तेरेसिटा मेरी और मेरी तेरेसा ने स्कूल परिसर में हो रहे धार्मिक पूजनविधि में भाग लेने के लिए दबाव डाला। "27 सितंबर को, प्रिंसिपल ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया और धमकी दी कि अगर मैं ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार करने से इनकार कर दूं तो मुझे मार दिया जा सकता है। और 1 अक्टूबर को उन्होंने मुझे बर्खास्त कर दिया।"
सिस्टर डिसूजा ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में "हजारों बच्चों ने हमारे स्कूल में अध्ययन किया है, लेकिन किसी ने कभी भी हमारे खिलाफ इतना जघन्य आरोप नहीं लगाया है।"
उन्होंने कहा कि शिकायत में नामित दो धर्मबहनें 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं और स्कूल की गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।
उसने कहा, "हम गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के लिए यहां हैं, किसी का धर्मपरिवर्तन के लिए नहीं।"
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