उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 नवम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ जेस्विट सोसाईटी के फादर जेनेरल अर्तूरो सोसा ने बुधवार को एक पत्र प्रकाशित कर धर्मसमाज के सभी सदस्यों को जानकारी दी कि पूर्व जेस्विट फादर जेनेरल पेद्रो अरूपे की संत घोषण की प्रक्रिया को रोम धर्मप्रांत में डाला गया है जहाँ उनका निधन हुआ था। फादर पेद्रो अरूपे अब ईश सेवक माने जायेंगे।
उनकी स्मृति जीवित
फादर सोसा ने अपने पत्र में लिखा है कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा करते समय उन्होंने फादर अरूपे की यादगारी एवं विरासत को बहुत अधिक सजीव पाया है। यह उन चिट्ठियों से भी प्रमाणित होती है जिनको उनके पोस्टूलेटर ने "दुनिया भर से" प्राप्त किया है। इन पत्रों ने "पुष्ट किया है कि पवित्रता के लिए उनकी प्रतिष्ठा" जेसुइट समुदाय के भीतर और बड़े पैमाने पर कलीसिया के विभिन्न हिस्सों तक फैली हुई है।
कलीसिया के लिए उनकी विरासत
फादर अरूपे ईश्वर एवं कलीसिया के लिए एक असाधारण रूप से उत्साही व्यक्ति थे। हर बात में ईश्वर की इच्छा पूरी करना उनकी मनोकामना थी। उनकी पवित्रता के दूसरे चिन्ह हैं, येसु ख्रीस्त से उनकी संयुक्ति, कलीसिया के संचालन में पवित्र आत्मा पर भरोसा, संत पापा के प्रति निष्ठा, प्रेरितिक उत्साह, तत्कालिक समाज की परिस्थिति के प्रति संवेदनशीलता तथा गरीबों के लिए प्रेम।
जेस्विट सोसाईटी के लिए उनकी विरासत
फादर जेनेरल सोसा ने गौर किया कि फादर अरूपे ने जेस्विट सोसाईटी के लिए महान विरासत छोड़ दिया है। वे उनके आध्यात्मिक साधना में पुनःखोज पर प्रोत्साहन, संत इग्नासियुस की किताबों तथा व्यक्तिगत एवं सामुहिक आत्मपरीक्षण आदि के लिए ऋणी हैं। फादर अरूपे ही हैं जिन्होंने जेस्विट पुरोहितों को कलीसिया और समाज में संत इग्नासियुस की परम्परा से सम्पन्न होने हेतु साधन प्रदान किया।
संत घोषणा की राह पर
फादर सोसा ने पत्र में लिखा कि यद्यपि फादर अरूपे का निधन 1983 में हो गया तथापि पवित्रता में उनकी ख्याति निरंतर और स्थायी है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी 5 फरवरी उनकी 28वीं पुण्यतिथि के अवसर पर, उनकी संत घोषणा प्रक्रिया में आगे बढ़ाये जाने को बाधा रहित (नुल्ला ओस्ता) घोषित किया जाएगा। उसके बाद स्पेन, जापान एवं इटली से 100 साक्ष्यों को प्रस्तुत किया जाएगा। इन साक्ष्यों के साथ साथ उनके प्रकाशित एवं अप्रकाशित लेखों को संत प्रकरण परिषद के पास जमा किया जाएगा। जेस्विटों को आशा है कि उनके साहसिक सदगुणों को पहचाने जाने के साथ-साथ उन्हें धन्य और संत भी घोषित किया जाएगा।