संत जॉन 23वें समुदाय द्वारा अजन्मे बच्चों के लिए प्रार्थना
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
1 नवम्बर को निम्नलिखित कब्रस्थानों में प्रार्थना की जाएगी - साविलयानो में अपराहन 2.00 बजे, फोस्सानो में 2.30 बजे, कुनेओ में 3.00 बजे, रिमीनी में 2.30 बजे, मोदेना सन काताल्दो में 3.45 बजे बोलोन्या चेरतोसा में पूर्वाहन 11.45 बजे फोरली मोनुमेनताली में 11 बजे और रिविन्यानो में शाम 4.00 बजे।
हरेक जीवन ईश्वर का सुन्दर दान
संत जॉन 23वें समुदाय के महाप्रबंधक जोव्वानी रामोनदा ने वाटिकन रेडियो से कहा, प्रत्येक जीवन जो प्रस्फूटित होता है वह ईश्वर का दान है चाहे यह गर्भ में कुछ समय के लिए ही क्यों न जीया गया हो। उन्होंने कहा कि गर्भपात को दूर किया जाना चाहिए न केवल ख्रीस्तीय विश्वास के कारण बल्कि मानव प्रतिष्ठा के लिए, जो हमें सृष्टि की पवित्रता को पहचानने हेतु प्रेरित करता है।
माता- पिता का अधिकार
उन नन्हें जीवों की प्रतिष्ठा को पहचानने के रूप में दफन की क्रिया एक जागरूकता तथा माता-पिता का उनके करीब होने का चिन्ह है। जोव्वानी रामोनदा ने कहा कि हमारे अपने प्रियजनों की तरह हम उन्हें भी स्थान देते हैं, उनसे मुलाकात करने जाते तथा उनके लिए प्रार्थना करते हैं। पर हम किस तरह उन अजन्मे बच्चों की आवाज को उन माता-पिताओं तक पहुँचा सकते हैं? उन्होंने कहा कि यही एक अवसर है जिसका आयोजन हमने किया है तथा सक्षम स्वास्थ्य अधिकारियों से प्राप्त किया है। कानून की मांग है कि माता-पिता इस सेवा की मांग बिना किसी दोष के प्रतिष्ठा के साथ कर सकते हैं। आज अजन्मे बच्चे का दफन उनके माता-पिता का अधिकार है।
संत जॉन 23वाँ समुदाय
संत जॉन 23वाँ समुदाय सन् 1999 से ही भ्रूण के दफन की क्रिया से जुड़ा है, जब डॉन ओरेस्ते बेंजी ने माथेयो को अंतिम संस्कार दिया था। माथेयो की माँ ने गर्भावस्था के 19वें सप्ताह में ही उसे खो दिया था। तब से आज तक फाऊँडेशन ने सैकड़ों माता-पिताओं को अपने बच्चों को उचित रीति से दफनाने में मदद की है।
संत जॉन 23वाँ समुदाय एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय है जिसकी स्थापना डॉन ओरेस्ते बेंजी द्वारा सन् 1968 में हुई थी।
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