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संत पापा फ्राँसिस के साथ कार्डिनल बो संत पापा फ्राँसिस के साथ कार्डिनल बो 

कार्डिनल बो बने एफएबीसी के नये अध्यक्ष

यांगोन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स मौंग बो एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) के नये अध्यक्ष नियुक्त हुए।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 22 नवम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष के रूप में म्यनमार के प्रथम कार्डिनल बो की नियुक्त 16 नवम्बर को बैंकॉक में एफएबीसी की केंद्रीय समिति की बैठक में हुई। वे 1 जनवरी 2019 से संघ के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे।

कार्डिनल बो के पहले मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने संघ के अध्यक्ष का कार्यभार सम्भाला है और अब 31 दिसम्बर को वे दूसरी कार्यावधि पूरा करेंगे। कार्डिनल ग्रेसियस ने एफएबीसी के महासचिव के रूप में भी जनवरी और दिसम्बर 2012 के बीच कार्य किया था।

कार्डिनल बो की जीवनी

कार्डिनल बो का जन्म 29 अक्टूबर 1948 को मांनडाले महाधर्मप्रांत के मोनहला गाँव में हुआ था। उन्होंने सलेसियन डोन बोस्को धर्मसमाज में प्रवेश किया तथा 24 मई को अस्थायी व्रत लिया। उन्होंने 10 मार्च 1976 को आजीवन व्रत लिया।

लाशियो में 9 अप्रैल 1976 को पुरोहिताभिषेक के बाद उन्होंने पल्ली पुरोहित के रूप में लोइहकाम में 1976 -1981 तथा लाशियो में 1981 -1983 तक सेवा दी। 1983 से 1985 तक उन्होंने अनिसाकान सेमिनरी में प्रध्यापक का कार्य किया।

कार्डिनल बो 1985 से 1986 तक लाशियो में प्रेरितिक प्रशासक रहे, उसके बाद 1986 से 1990 तक प्रेरितिक प्रिफेक्ट के रूप में कार्य किया। जब इसे धर्मप्रांत का दर्जा दिया गया तब उन्हें 7 जुलाई 1990 को इसका प्रथम धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनका धर्माध्यक्षीय अभिषेक उसी साल 16 दिसम्बर को हुआ। 15 मई 2003 को वे यांगोन के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये। 2000 से 2006 तक वे म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष रहे।

संत पापा फ्राँसिस ने 14 फरवरी 2015 को वाटिकन में कार्डिनल मंडल की सभा में उन्हें म्यानमार का प्रथम कार्डिनल नियुक्त किया। इसके साथ ही वे समर्पित एवं धर्मसमाजी जीवन को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति, संस्कृति हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति एवं वाटिकन संचार सचिवालय के सदस्य नियुक्त हुए।

एफएबीसी में एशिया के कुल 19 धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की पूर्ण सदस्यता है तथा 8 धर्माध्यक्षीय सम्मेलन भी सहयोग करते हैं। संघ का उद्देश्य है एशिया की कलीसिया एवं समाज के हित अपने सदस्यों के बीच एकात्मता एवं सह जिम्मेदारी को प्रोत्साहन देना। संघ के निर्णय न्यायिक बाध्यकारी शक्ति के बिना हैं; उनकी स्वीकृति औपचारिक जिम्मेदारी की अभिव्यक्ति है।

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22 November 2018, 16:12