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कार्डिनल जोसेफ कुर्टस कार्डिनल जोसेफ कुर्टस  

पाकिस्तानी ख्रीस्तीय, विश्वास एवं मुक्ति के जीवित साक्षी

कराची के महाधर्माध्यक्ष को बान्योरेजो स्थित संत बोनावेनतुरा रोमन काथलिक पल्ली सौंपा गया। पाकिस्तान की कलीसिया संख्या में कम है किन्तु इसकी मुख्य भूमिका शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018 (एशियान्यूज)˸ कराची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जोसेफ कुर्टस ने एशियान्यूज से कहा, "पाकिस्तान की कलीसिया छोटी है किन्तु चुप नहीं है, उसके पास अनेक संसाधन भी नहीं हैं अतः उसे चुनाव करने की आवश्यकता है।"

कार्डिनल कूर्टस को रोम स्थित संत बोनावेन्तुरा पल्ली को सौंपा गया है। उन्होंने कहा, "हम दृश्यमान कलीसिया हैं जिसके पास निश्चय ही कई समस्याएँ हैं और जो भेदभाव का शिकार है। हम एक ऐसी कलीसिया हैं जो ख्रीस्त का खास रूप से साक्ष्य देती है तथा सभी की सहायता करती है क्योंकि एक ऐसे देश में जहाँ मुसलमानों की बहुलता है यदि हम मुक्ति पाना चाहते हैं तो हमारे लिए ख्रीस्तीय होने का एक ही रास्ता है दैनिक जीवन में अपने विश्वास का साक्ष्य देना।"

कार्डिनल कुर्टस का मनोभाव

संत पापा द्वारा उन्हें कार्डिनल नियुक्त किये जाने के निर्णय पर उन्होंने कहा कि वे उनके इस निर्णय का इंतजार नहीं कर रहे थे, पहली बार उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। यह सचमुच एक आश्चर्य की बात थी, फिर भी, उन्हें विश्वास है कि उनकी भूमिका में बदलाव नहीं आयेगी। उन्होंने कहा, "मैं कराची महाधर्मप्रांत की देखरेख करता रहूँगा, खासकर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की। मैं कई जिम्मेदारियों को अपने ऊपर लूँगा  क्योंकि व्यक्ति कम हैं, पुरोहितों की कमी है। मेरे पास कई विषयवस्तुएं हैं जिन्हें मैं नये कार्यों से भरना जारी रखूँगा।"

कलीसिया से संत पापा की आशा

कार्डिनल के अनुसार संत पापा विश्वव्यापी कलीसिया से चाहते हैं कि वह समाज के अप्रवासियों एवं सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचे। पाकिस्तान एक घनी आबादी वाला देश है जिसमें करीब 200 मिलियन निवासी रहते हैं। इनके बीच काथलिकों की संख्या करीब 1.5 प्रतिशत है। कार्डिनल ने कहा कि फिर भी हम छिपे नहीं हैं। हम अपनी आवाज को सुनाते हैं। संख्या की तुलना में देश के विकास के लिए हमारा योगदान काफी अधिक है।   

 

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02 October 2018, 17:03