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महाधर्माध्यक्ष अतांगा महाधर्माध्यक्ष अतांगा  

अफ्रीका के युवा जीवन चौराहों पर

महाधर्माध्यक्ष अतांगा ने अफ्रीका के युवा के संबंध में कहा कि उनकी समस्याएं विशिष्ट हैं जिसका समाधान भी अलग-अलग रुपों में किया जा सकता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2018 (रेई) कैमरून, बेरतोवा महाधर्मप्रांत के महाधर्मध्यक्ष जोसेफ अतांगा ने अफ्रीका के युवाओं से संबंध में कहा कि उन्हें सबसे पहले “ख्रीस्त की ओऱ” अभिमुख होने हेतु सहायता करने की अवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि युवाओम पर जारी धर्माध्यक्षीय धर्मसभा पश्चिमी देशों की कलीसिया को अफ्रीका के साथ घनिष्टता का संबंध स्थापित करने में मदद करेगा।

धर्मसभा के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह अपने में महत्वपूर्ण है जहाँ हम विश्व की कलीसिया संग एक साथ आते और अपने विचारों को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के धर्माध्यक्ष अपने में इस बात से खुश हैं क्योंकि वे युवाओं की वर्तमान परिस्थति का जिक्र कर पा रहे हैं।

धर्मसभा में युवाओं के संबंध में इस बात को जाहिर किया गया है कि विश्व के सभी देशों में युवाओं की समस्या एक जैसी है यद्यपि अफ्रीका के युवाओं की समस्या भिन्न है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विश्व भर के युवा एक साथ आते हुए अपने अनुभवों को भी एक दूसरे से साथ साझा करें।

अफ्रीका के युवाओं की समस्या अपने में विशिष्ट है जिसका समाधान भी विभिन्न रुपों में किया जा सकता है। अफ्रीका के धर्माध्यक्षों के लिए यह जरुरी है कि वे युवाओं की बातों को सुने जिससे वे उनके साथ चल सकें और उनकी कठिनाइयों में उनका साथ दे सकें। उन्होंने कहा, “अफ्रीका के युवा अपने जीवन के चौराहों पर खड़े हैं, वे यह नहीं जानते कि येसु के पास किस तरह आने की जरुरत है।” हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि हम उनका साथ किस तरह दे सकें।

अफ्रीकी देशों में भ्रष्टचार, अत्यंत गरीबी और राजनीतिक उथल-पुथल के बारे में  महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इन मुद्दों पर धर्मसभा ने कोई जिक्र नहीं किया है। भ्रष्टचार न केवल अफ्रीका वरन विश्वभर में व्याप्त है। मेरा यह विश्वास है कि भ्रष्टाचार गरीबी को जन्म देती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अफ्रीकी देशों के खनिज संपदाओं का दोहन कर रही हैं जिसके कारण देश का धन लुट रहा है। 

उन्होंने प्रवासन के संदर्भ में कहा कि इसका मुख्य कारण गरीबी है। प्रवासन का प्ररुप देशों के अन्दर और महादेश में कई रुपों में व्याप्त है। इस मुद्दे पर गहन रुप से सोच-विचार और जाँच करने की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि वे आशा करते हैं कि पश्चिमी देशों की कलीसिया अफ्रीका की कलीसिया को मदद करेगी। इसके लिए वार्ता की आवश्यकता है। हम आशा करते हैं कि धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की समाप्ति उपरांत हम अपने साथ समस्याओं का कुछ समाधान ले पायेंगे जो हमें वैश्विक कलीसिया को सुनने और साथ चलने में मदद करेगा। 

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19 October 2018, 18:27