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लेबनान में मेखितारिस्ट पुरोहितों द्वारा संचालित एक स्कूल घर लेबनान में मेखितारिस्ट पुरोहितों द्वारा संचालित एक स्कूल घर 

अरमेनियाई मठवासियों से संत पापा, एकता पथ को आलोकित करते रहें

वेनिस में मठवासी धर्मसमाज अरमेनियाई मेखितारिस्ट की स्थापना की 300वीं वर्षगाँठ समारोह के समापन पर संत पापा फ्राँसिस का पत्र पढ़ा गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 18 सितम्बर 18 (वाटिकन न्यूज)˸ संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को, अर्मेनियाई मेखितारिस्ट धर्मसमाज को उनके परम्परागत ईशशास्त्रीय मानवता एवं ख्रीस्तीय एकता के प्रति खुलापन की सराहना की तथा उनसे आग्रह किया कि वे इसका साक्ष्य देते रहें।   

मेखितारिस्ट धर्मसमाज

बेनेडिक्टाईन मठवासियों का धर्मसमाज 19वीं सदी के आरम्भ में अर्मेनियाई दर्शनशास्त्र, साहित्य और संस्कृति के पुनः जागरण में सहयोग देने तथा पुरानी अर्मेनियाई ईसाई पांडुलिपि में प्रकाशन के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इस परम्परा के बारे संत पापा ने कहा है कि यह एक ख्रीस्तीय एकतावर्धक यात्रा के लिए फायदेमंद उपहार है जो प्रभु से एक साथ मुलाकात करने के प्रयास में, अपने को समय के चिन्ह के रूप में विस्तार से प्रकट करता है।   

अर्मेनियाई मेखितारिस्ट धर्मसमाज के प्रेरितिक प्रशासक महाधर्माध्यक्ष बोगहोश लेवोन जेकियान को प्रेषित पत्र में संत पापा ने कहा है कि "अर्मेनिया के सभी लोगों की भलाई हेतु अपने कारिज्म को बनाये रखने एवं उसे अधिक गहरा करने के लिए धर्मसमाज को निमंत्रण दिया जाता है।"

संत पापा फ्राँसिस के पत्र को ऑरिएंटल कलीसियाओं के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सांद्री ने समारोह के दौरान वेनिस के संत  लाज्जारो द्वीप में पढ़कर सुनाया।

300वीं वर्षगाँठ

अर्मेनियाई मेखितारिस्ट धर्मसमाज की स्थापना की 300वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में उत्सव रविवार को मनाया गया। कार्डिनल लेओनार्दो सांद्री ने कहा कि वियेन्ना के मेखितारिस्ट मठ के साथ संत लाज्जारो द्वीप जो धर्मसमाज का केंद्र है यह उसके दिल की धड़कन बन गयी है।

उन्होंने कहा, "संख्या में कुछ हद तक गिरावट के बावजूद, मठवासी हर जगह भेजे गये हैं ताकि वे अपनी क्षितिज को खुला रख सकें तथा सामुदायिक संबंधों को मजबूत कर सकें।" मेखितारिस्ट की पहचान सबसे बढ़कर इसपर निर्भर करता है कि वह पूरी तरह से ईश्वर के लिए समर्पित है।

वर्तमान चुनौतियों के बीच ताकत

संत पापा ने अपने पत्र में कहा है कि "उनकी बुलाहट अपने अन्य मठवासी धर्मबंधुओं से सच्ची एकता तथा निर्धनता, शुद्धता एवं आज्ञापालन के व्रतों के प्रति सहर्ष सम्मान के बिना साकार नहीं हो सकती जो आज की चुनौतियों के सामने सच्चे नवीनीकरण एवं शक्ति हेतु सुसमाचारी स्रोत हैं।"

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18 September 2018, 13:13