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ख्रीस्तीय परिवार ख्रीस्तीय परिवार 

हिन्दू परिवारों का धर्म परिवर्तन

हरियाणा के कुछ परिवारों ने ख्रीस्तीय धर्म को अपनाया जिसके कारण उन्हें हाशिये पर जीवन यापन करना एवं समाज से बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारतीय ख्रीस्तीय वैश्विक परिषद के अध्यक्ष साजन के जोर्ज ने एशियान्यूज को बतलाया कि जैसे ही गाँव में उन परिवारों के धर्मपरिवर्तन की खबर फैली, एक आपातकालीन सभा बुलाई गयी तथा निर्णय लिया गया कि मुद्दे को किस तरह निपटाया जाए एवं ख्रीस्तीयों के साथ क्या व्यवहार किया जाए। सभा के बाद जो बात सामने आयी वह स्पष्ट थी उनका कहना था, कि वे किसी को बुराई करने नहीं देंगे अर्थात् कोई धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता है।

धर्मपरिवर्तन पर कारर्वाई

यह मामला सोनीपत जिले का है, जहां हिंदू अग्रवाल समुदाय रहता है। यह  एक जनजाति है जो उत्तरी भारतीय राज्यों में विशेष रूप से फैली है।

उन्होंने बतलाया कि 11 सदस्यों की समिति की सभा बुलायी गयी थी ताकि उस परिवार के धर्म परिवर्तन के कारणों का पता लगया जा सके। ख्रीस्तीय बने चार परिवारों ने अपने सभी आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत किया (पुरोहित की घोषणा तथा विश्वासियों की स्वीकृति की धर्मपरिवर्तन उनकी स्वतंत्र चुनाव है और उसमें किसी तरह का दबाव नहीं है।) जबकि दूसरे परिवार उसे तैयार कर रहे हैं।

अधिकारियों का दबाव

साजन जोर्ज ने कहा कि गाँव के मुख्य ने परिवार के इस चुनाव के प्रति असहमति जतायी और उसे बुरा कहा। उन्होंने यह भी कहा कि उस समाज के किसी भी व्यक्ति को धर्मपरिवर्तन करने की अनुमति नहीं है और जिन्होंने धर्म परिवर्तन करने का निश्चय किया है उन्हें वापस लौटना होगा। तब उन्होंने कहा कि गुप्त में किए गए धर्मांतरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जोर्ज के अनुसार अनुसार गाँव की यह सभा उन लोगों को डराती है जो नियम भंग करने का साहस करते हैं। यह बहुधा लोगों पर दबाव डालती है कि वे पुरानी परम्पराओं का उलंघन न करें एवं गाँव में अनुशासन बनाये रखें।

ख्रीस्तीयों की स्थिति

जोर्ज ने कहा कि इसका प्रभाव कमजोर ख्रीस्तीय परिवारों पर पड़ता है जो ख्रीस्त को अपने मुक्तिदाता के रूप में अपनाना चाहते हैं। जो लोग समुदाय के अधिकारियों को चुनौती देने का साहस करते हैं उन्हें हाशिये पर जीवन व्यतीत करना पड़ता है अथवा समाज से बाहर निकाल दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में यही हो रहा है जहाँ ख्रीस्तीयों को समाज से बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।

2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा में ख्रीस्तीयों की कुल आबादी 0.17 प्रतिशत थी। भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है तथा संविधान भी इसकी गारांटी देता है।

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02 August 2018, 17:53