एक वियतनामी बच्चा एक वियतनामी बच्चा 

यौन दुराचार पर मौन दीवार के अंत की मांग

नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय समिति की सदस्य भारत की सिस्टर एरिना गोंसेल्स के अनुसार यौन शोषण, शक्ति के दुरूपयोग एवं अंतःकरण के दबाव के बीच का संबंध है। संत पापा ने आयलैंड में उदाहरण दिया है कि इसको रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मुम्बई, बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2018 (एशियान्यूज)˸ सिस्टर एरिना ने आयरलैंड के पुरोहितों द्वारा यौन शोषण के अपराध पर संत पापा फ्राँसिस की चिंता पर एशियान्यूज से बातें करते हुए कहा कि भारत में "हमें नाबालिगों एवं कमजोर लोगों के यौन शोषण के संबंध में मौन की संस्कृति में बदलाव लाने की आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा कि संत पापा ने अतीत में हुई दुराचार की घटनाओं के लिए स्पष्ट रूप से दुःख व्यक्त किया है तथा अपनी जवाबदेही को स्वीकारा है।

नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय समिति में नियुक्त किये जाने के पूर्व सिस्टर एरिना ने मुम्बई महाधर्मप्रांत में लम्बे समय तक बाल सुरक्षा के लिए कार्य किया।

भविष्य में ऐसी घटनाओं पर प्रतिबंध

उन्होंने कहा कि आयरलैंड में संत पापा द्वारा बारम्बार क्षमा मांगना दिखलाता है कि वे अतीत में बाल यौन शोषण के शिकार लोगों के प्रति सचमुच चिंतित हैं। यह उनकी बड़ी दीनता तथा कलीसिया के इतिहास में घटी घटनाओं के प्रति उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी को दिखलाती है। संत पापा फ्राँसिस ने यौन शोषण, शक्ति का दुरूपयोग एवं अंतःकरण के शोषण के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। क्षमा मांगना एवं क्षतिपूर्ति की कोशिश मददगार हो सकते हैं किन्तु भविष्य में ऐसी घटनाओं पर प्रतिबंध लगाये जाने की आवश्यकता है।

सिस्टर एरिना के अनुसार आगे कदम बढ़ाने का अर्थ है उस संस्कृति का क्रांतिकारी परिवर्तन जहाँ बच्चों की सुरक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया जाए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि केवल याजक उस क्रांतिकारी परिवर्तन को लाने में समर्थ नहीं हो सकते किन्तु इसके लिए पूरे समुदाय से सहायता लेने की आवश्यकता है। हमें जवाबदेही की संस्कृति के निर्माण की जरूरत है ताकि न्याय को जगह मिल सके।

यौन शोषण हटाने के तीन उपाय

सिस्टर एरिना के अनुसार तीन उपायों को अपनाएँ जाने की आवश्यकता है- यौन शोषण के साथ-साथ शक्ति के दुरूपयोग जो गलतियों को ढ़क देता है उसे हटाने की संस्कृति को प्रोत्साहन, उपयुक्त संस्थाओं को उपलब्ध किया जाना जहाँ यौन शोषण के शिकार लोगों को अपनी बातों को रखने एवं उन्हें सुने जाने का अवसर मिले तथा न्याय को अपनाया जाना और यह भी ध्यान दिया जाना कि अभियुक्त की सही एवं पारदर्शी जाँच हो।

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30 August 2018, 14:57