केरल के प्रति भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों ने व्यक्त किया दुख
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
तिरुवनन्तपुरम, शुक्रवार, 17 अगस्त 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने केरल में घनघोर वर्षा एवं बाढ़ से हुई जान-माल का हानि के प्रति गहन दुख व्यक्त कर सभी प्रभावित लोगों के प्रति एकात्मता का प्रदर्शन किया है.
केरल में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से कुल 97 लोगों की मौत
घनघोर वर्षा और बाढ़ की वजह से शुक्रवार को 30 लोगों की मौत गई. इसके अलावा, कई घरों में पानी भर गया और सड़कों को नुकसान पहुंचा. वहीं कई स्थानों पर हवाई और रेल यातायात भी बाधित हुआ है. अधिकारियों ने बताया कि आठ अगस्त से भारी बारिश और बाढ़ की वजह से कुल 97 लोगों की मौत हो चुकी है. ेसके अतिरिक्त, कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी सेवाओं की निलंबन अवधि 26 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है. हवाई अड्डे के अधिकतर हिस्से में पानी भर गया है.
हैलीकॉप्टरों की मदद से निकाले लोग
भारतीय नौसेना ने त्रिचुर, अलूवा और मवूत्तुपुझा में फंसे हुए लोगों को हवाई मार्ग से निकाला है. हेलीकॉप्टरों के जरिए नौसेना जलमग्न घरों की छतों और पहाड़ों रुके लोगों को निकाल रही है. राज्य में 1.5 लाख से ज्यादा बेघर और विस्थापित लोग राहत शिविरों में हैं. बाढ़ की वजह से रेल सेवा भी प्रभावित हुई है. दक्षिणी रेलवे ने एक बयान में बताया है कि 25 ट्रेनों को या तो रद्द किया गया है या उनके समय में बदलाव किया गया है.
राहत और बचाव में काथलिक कलीसिया हुई क्रियाशील
भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राहत और बचाव कार्य में संलग्न समस्त सरकारी एवं ग़ैरसरकारी संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त किया गया. कहा गया कि काथलिक कलीसिया इस आपदा से जूझ रहे लोगों कलोगों व्यथा से वाकिफ़ है तथा अपनी कल्याणकारी एजेन्सियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों की हर सम्भव सहायता को तत्पर है.
धर्माध्यक्षों ने कहा, काथलिक कलीसिया की विश्व्यापी काथलिक उदारता संगठन कारितास की स्थानीय शाखाओं के नेतृत्व में कलीसिया के पुरोहित, धर्मसंघी और स्वयंसेवक राहत और बचाव कार्यों में जुट गये हैं. विभिन्न धर्मप्रान्तों में कलीसियाई अधिकारियों ने गिरजाघरों एवं स्कूलों को खोल रखा है ताकि बेघर लोगों को शरण दी जा सके. उन्होंने कहा कि हमारे गिरजाघरों एवं स्कूलों मेंर्म और जाति का भेदभाव किये बिना सभी प्रभावितों एवं पीड़ितों को हर सम्भव सहायता प्रदान करने का प्रयास जारी हैं.
विज्ञप्ति में धर्माध्यक्षों यह आशा भी व्यक्त की कि बाढ़ के चले जाने के उपरान्त सभी ज़िम्मेदार लोग इस आपदा के कारणों पर चिन्तन करेंगे तथा पर्यावरण की क्षति को रोकने के उपाय करेंगे ताकि धरती माता को विनाश से बचाया जा सके जो प्रायः मानवीय कृत्यों का परिणाम हुआ करता है.
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