प्रार्थना करते हुए भारतीय ख्रीस्तीय प्रार्थना करते हुए भारतीय ख्रीस्तीय 

धर्माध्यक्षों द्वारा विभाजनकारी राजनीति को हटाने का आग्रह

31 जुलाई को भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा आयोजित एक सभा में भारतीय समाज की वर्तमान परिस्थिति में हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा ख्रीस्तियों और मुसलमानों के उत्पीड़न और हिंसा पर पर चर्चा की गई।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शनिवार 4 अगस्त 2018 ( उकान) : नई दिल्ली में काथलिकों ने भारतीय राजनेताओं द्वारा मतभेदों और वोट पाने के लिए धर्म के उपयोग को रोकने के लिए एक सभा बुलाई थी। सभा में करीब एक हजार लोग थे। सभा की विषय-वस्तु थी, "अपने पड़ोसी से प्यार करो।" सभा में  भारत के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेताओं के अगले साल के आम चुनावों से पहले उनकी हिंदू विचारधारा की चुनौतियों पर विचार किया गया।

31 जुलाई को भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा आयोजित एक सभा में भारतीय समाज की वर्तमान परिस्थिति पर चर्चा करने वाले कई वक्ताओं में से एक विपक्षी नेता ममता बनर्जी भी थीं।

एकजुट होने की आवश्यकता

त्रिणमूल कॉग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनर्जी ने कहा,“ "कुछ लोग धर्म, जाति और पंथ के नाम पर देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हम यहां मूक दर्शक के रूप में नहीं बैठ सकते हैं। हमारे लिए एकजुट होने का समय आ गया है और मिलकर हमें आवाज़ बुलंद करना है।"

ममता बनर्जी जो पच्छिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री भी हैं,ने कहा कि सभा के लिए उपयुक्त विषय-वस्तु का चुनाव किया गया है क्योंकि, "कुछ सांप्रदायिक ताकतें यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हमें क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए और हमें अपने विश्वास का अभ्यास कैसे करना चाहिए।"

अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न

उन्होंने 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई में बीजेपी की सत्ता में आने के बाद से कट्टरपंथी हिंदू समूहों द्वारा ख्रीस्तियों और मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा के मामलों को भी सभा के सामने पेश किया।

बनर्जी ने कहा कि कुछ सरकारों का एजेंडा काथलिक कलीसिया के संगठनों और उनके मिशन को खराब करना और उन्हें बदनाम करना है। उन्होंने कहा कि मिशनरीस ऑफ चैरिटी धर्मसमाज जिसे संत मदर तेरेसा ने अपने राज्य की राजधानी कोलकाता में स्थापित किया था, उनके साथ कुछ अन्य ख्रीस्तीय संगठनों की जांच के लिए हाल में आदेश दिये गये।

मिशनरियों और कलीसिया का योगदान

"ये मिशनरी लोग और कलीसिया सामान्य रूप से बहुत अधिक सेवा कर रहे हैं और इस बात को कोई भी इन्कार नहीं कर सकता है। सबसे अच्छा उदाहरण हमारी अपनी मदर तेरेसा थी जिन्होंने गरीब लोगों के लिए अथक रूप से काम किया।"

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के शिक्षा विभाग के सचिव फादर जोसेफ मणिपदाम ने उका न्यूज को बताया कि राष्ट्रों की वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया था। "हम संदेश देना चाहते हैं कि ख्रीस्तीय धर्म घृणा को बढ़ावा नहीं देता है लेकिन हमेशा प्यार और भाईचारे की बात करता है।"

सकारात्मक दृष्टिकोण

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास ने उका न्यूज को बताया कि हमने सभा का आयोजन किया क्योंकि "देश में घृणा और हिंसा का नकारात्मक वातावरण मौजूद है...हम सकारात्मक दृष्टिकोण पर जोर देना चाहते हैं।"

उन्होंने और सभा के कई अन्य नेताओं ने राजनेताओं को वोटों के लिए धर्म के उपयोग को रोकने के लिए कहा। दलितों और आदिवासियों जैसे अल्पसंख्यकों के प्रति उनके नकारात्मक रुख की आलोचना की।

दलित ख्रीस्तियों का संघर्ष

सुप्रीम कोर्ट के वकील फ्रैंकलिन कैज़र ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता के छह दशक बाद भी दलित ख्रीस्तीय "सामाजिक सुरक्षा अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।" जबकि उनके समकक्ष हिंदू सामाजिक सुरक्षा का आनंद ले रहे हैं। ख्रीस्तीय और मुस्लिम दलितों को सामाजिक रियायतों जैसे रोज़गार और शैक्षणिक कोटा से बाहर रखा गया है।

भारत में 27 मिलियन ख्रीस्तीय हैं और उनमें से कम से कम 60 प्रतिशत दलित या आदिवासी पृष्ठभूमि से आते हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं।

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01 July 2018, 16:03