आधुनिक कलीसिया के शहीद फादर हामेल
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 जुलाई 2018 (रेई)˸ फ्राँस के रोवेन स्थित संत एतियेने दू रोव्रे गिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते समय, दो वर्षों पहले इस्लामिक स्टेट के आतंवादियों ने फादर जैक हामेल की हत्या कर दी थी।
14 सितम्बर 2016 को वाटिकन स्थित संत मर्था के प्रार्थनालय में फादर जैक के परिवार वालों एवं नोरमडी से आये तीर्थयात्रियों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने फादर जैक के बारे कहा था, " वे एक आदर्श व्यक्ति थे जिसने भाईचारा को बढ़ावा दिया।"
लोकधर्मी एवं धर्मसमाजी पहल
शहीद फादर जैक हामेल की स्मृति में, 26 जुलाई को उनके धर्मप्रांत में शांति और भाईचारा के एक समारोह का आयोजन किया गया, जहाँ अंतरिम मंत्री जैकलिन गौराल्ट भी उपस्थित हुईं। समारोह में रोजरी प्रार्थना, मौन जुलूस तथा ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया। फादर की हत्या 26 जुलाई 2016 को 9.00 बजे सुबह की गयी थी।
क्रूस पर मार डाला जाना
संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग के दौरान कहा था कि वे आज की कलीसिया के कई शहीदों में से एक हैं जिन्हें हत्या, अत्याचार, कैद एवं कत्लेआम का सामना करना पड़ता है, इसलिए क्योंकि वे येसु ख्रीस्त पर विश्वास से इंकार नहीं करते हैं। शहीद फादर जैक के धन्य घोषणा की प्रक्रिया 13 अप्रैल 2017 को आरम्भ की गयी।
शहादत एक साक्ष्य है डरावना नहीं
खलदेई फादर रेबवार औदिश बासा ने फादर हामेल की याद कर कहा कि "घृणा की जीत न हुई है और न होगी। पीड़ित इराक में उनके समान कई पुरोहितों ने शहीद होकर साक्ष्य दिया है। उनके द्वारा मैंने सीखा है कि प्रेम की विजय होती है। हम जीवन के लिए हैं मृत्यु के लिए नहीं। शहीद लोग निष्ठावान होते हैं जो प्रभु के मार्ग पर ईमानदारी से आगे बढ़ते और अपने भाइयों के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर देते हैं।
शहादत के असल अर्थ, साक्ष्य पर गौर करते हुए फादर बासा ने कहा कि ख्रीस्तीय हर दिन अपना जीवन खो रहे हैं कई बार मौन एवं अंतरराष्ट्रीय उदासीनता में। ऐसा अधिकतर इराक, पाकिस्तान, फिलीपींस एवं अफ्रीका में हो रहा है।
घृणा की विचारधारा
फादर जैक की हत्या अत्याचार करने वालों की निंदा करते हुए हुई, जब उन्होंने कहा था, "भाग जाओ शैतान तथा धर्म त्याग की मांग करने वाली शैतानिक क्रूरता।" उनकी उम्मीद थी कि सभी धर्म के लोग यह स्वीकार कर सकें कि ईश्वर के नाम पर हत्या शैतानिक है। उनके कई नाम हैं किन्तु आक्रमणकारी एक है, वह है घृणा की विचारधारा। दूसरों को स्वीकार नहीं कर पाना ही अत्याचार का कारण है।
संत पापा के शब्दों का हवाला देते हुए फादर बासा ने कहा कि जो लोग धर्म और ईश्वर के नाम का प्रयोग अपने निजी स्वार्थ, भ्रष्टाचार के खेल और राजनीतिक योजनाओं के लिए करते हैं, उनके लिए महत्वपूर्ण है कि वे उन कृत्यों को छोड़कर मानव अधिकार के सम्मान के लिए संघर्ष करें।
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