कंधमाल ख्रीस्तीय कंधमाल ख्रीस्तीय 

कंधमाल हिंसा की 10वीं सालगिराह मेल-मिलाप का अवसर

कटक भुनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष जॉन बरवा ने सभी लोगों को निमंत्रण दिया है कि वे 25 अगस्त को समारोही ख्रीस्तयाग में भाग लें। सन् 2008 ई. में ख्रीस्तियों पर हिन्दू चरमपंथियों द्वारा ख्रीस्तीय विरोधी हिंसक आक्रमण हुए थे। उसकी यादगारी में मेल-मिलाप, शांति और कृपा प्राप्त करने हेतु एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कटक भुनेश्वर, बृहस्पतिवार, 5 जुलाई 2018 (एशियान्यूज)˸उड़ीसा के कंधमाल जिले में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसक आक्रमण का इस वर्ष दसवीं सालगिराह मनाई जायेगी। महाधर्माध्यक्ष बारवा ने कहा कि यह शांति और मेल-मिलाप को सभी लोगों के बीच सुदृढ़ करने का एक अवसर है। 

एशिया न्यूज से बातें करते हुए महाधर्माध्यक्ष जॉन बरवा ने कहा कि ख्रीस्तियों का विश्वास मजबूत हुआ है। हम प्रभु के प्रति आभारी हैं कि विश्वासियों की संख्या बढ़ रही है।

अन्य धर्मों के साथ ख्रीस्तियों का संबंध

उन्होंने कहा कि दस साल पहले जिला में भारत के इतिहास में ख्रीस्तीय विरोधी एक भयावाह हिंसा को अंजाम दिया गया था किन्तु अब ख्रीस्तीय अन्य सभी धर्मों के लोगों के साथ सौहार्द पूर्वक रहते हैं। यही कारण है कि हम इस अवसर को मेल-मिलाप एवं साझा करने तथा शांति एवं कृपा के लिए प्रार्थना और विचार-विमर्श करने के रूप में मनाना चाहते हैं। प्रभु हम प्रत्येक को अपनी आशीष प्रदान करे।

कंधमाल ख्रीस्तियों पर अत्याचार की 10वीं वर्षगाँठ

25 अगस्त को उड़ीसा के ख्रीस्तियों पर किये गये अत्याचार की यादगारी में महाधर्मप्रांत ने "आभार, मेल-मिलाप एवं कृपा" के उद्देश्य से समारोही ख्रीस्तयाग का आयोजन किया है।

महाधर्माध्यक्ष ने बतलाया कि इस सभा के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए 2 जुलाई को उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा अन्य सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की गयी जहाँ काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास भी उपस्थित थे। महाधर्माध्यक्ष ने मुख्यमंत्री एवं सभी सरकारी अधिकारियों को उनकी सद्इच्छा के लिए उनकी सराहना की तथा कहा कि वे हिंसा, घृणा एवं विभाजन का समर्थन नहीं करते हैं।

अत्याचार का कारण

अगस्त 2008 को हिन्दु धर्मगुरू सरस्वती लक्ष्मानंदा की हत्या का आरोप लगाकर उनके अनुयायियों ने ख्रीस्तियों पर भयंकर हिंसक आक्रमण किया था। इस आक्रमण के कारण करीब 56 हजार ख्रीस्तीय घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो गये थे, 5600 घरों और 415 गाँवों पर आग लगाकर उन्हें ध्वस्त कर दिया गया था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार 38 लोग मारे डाले गये थे तथा दो महिलाओं के साथ बलत्कार किया गया था। कई लोग घायल हो गये थ और अनेक लोग हमेशा के लिए अपंग हो गये। कलीसिया एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट अनुसार 300 गिरजाघरों को ध्वस्त किया गया उनके साथ कई कॉन्वेंट, स्कूल, हॉस्टेल और कल्याणकारी संस्थाओं को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। इस घटना में कुल 91 लोगों की मौत हो गयी थी।

अत्याचार के उपरांत ख्रीस्तीय विश्वास में दृढ़ता

महाधर्माध्यक्ष बारवा ने कहा कि अत्याचार के बावजूद हम ईश्वर के प्रति सचमुच आभारी हैं क्योंकि विश्वासियों की संख्या बढ़ रही है और ख्रीस्तियों का विश्वास मजबूत हो गया है। हम एक साथ भाई-बहन की तरह जीते हैं स्थानीय प्रशासकों के साथ हमारा अच्छा संबंध है। कंधमाल जिला भारत की कलीसिया के विश्वास, आशा एवं धीरज का प्रतीक बन गया है जो शहीदों एवं पीड़ा के शिकार लोगों के बलिदान द्वारा प्रचुर आशीष का पात्र बन गया है।

सात निर्दोष ख्रीस्तियों की पीड़ा का स्मरण

महाधर्माध्यक्ष बारवा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात सात निर्दोष ख्रीस्तियों की पीड़ा की याद दिलाने का अवसर भी रहा, जिन्हें 10 सालों तक जेल में रखा गया है। उन्होंने बतलाया कि उन्हें आश्वासन दिया गया कि वे इस मामले का ख्याल रखेंगे और ईश्वर से प्रार्थना करेंगे ताकि वे जल्द ही उन्हें न्याय और शांति प्रदान करें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

05 July 2018, 17:35