म्यांमार जेड खनन म्यांमार जेड खनन  

धर्माध्यक्षों द्वारा म्यांमार जेड खनन में मानव गरिमा की मांग

माईटकिना के धर्माध्यक्ष फ्रांसिस दाउ तांग ने सरकार, कंपनियों और नागर समाज को खनन मिट्टी को डंप करने के प्रबंधन के लिए उचित नियम, खनन मजदूरों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा की मांग की है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मानडाले, शनिवार 28 जुलाई 2018 (उकान) : माईटकिना के धर्माध्यक्ष फ्रांसिस दाउ तांग ने म्यांमार के शेयरधारकों से जेड खनन नियमों को सुधारने और पर्यावरण की रक्षा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि खान से निकाले गये मिट्टी को सही ढंग से डंप करने हेतु कोई उचित नियम या व्यवस्था नहीं है, जिससे विवादित कचिन राज्य में सालाना सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है।

धर्माध्यक्ष तांग ने ऊका न्यूज को बताया, "हमें मानव गरिमा का सम्मान करना चाहिए जो छोटे पैमाने पर खनन के लिए अपने जीवन को खतरे में डालते हैं।" उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को खतरे के बारे में खनन श्रमिकों को विशेष रूप से बरसात के मौसम में चेतावनी देने की जरूरत है,साथ ही सरकार और कंपनियों को जेड खनन के पर्यावरणीय प्रभावों पर विचार करने की भी जरूरत है।

धर्माध्यक्ष तांग ने कहा, "सरकार, कंपनियों और नागर समाज को  चाहिए कि वे खनन मिट्टी को डंप करने के प्रबंधन  नियमों का खुलकर चर्चा करे। उन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए एक ढांचा तैयार करने की जरूरत है।"

भूस्खलन

धर्माध्यक्ष तांग ने पिछले दिसंबर में हपाकांत के जेड क्षेत्र का दौरा किया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि शेयरधारक इस महत्वपूर्ण मुद्दे को ठीक करने में असफल रहे, तो और अधिक लोगों की मौत होगी और पर्यावरण बर्बाद हो जाएगा।

14 जुलाई को भूस्खलन में कम से कम 22 लोग मारे गए, 63 घायल हो गए और 4 लापता थे। 10 दिन बाद 24 जुलाई को काचिन राज्य में एक जेड खान से निकाले गये कचरे के ढेर के गिरने से कम से कम 27 लोग लापता हो गए या दब कर मर गये। यह दूसरी घातक खनन आपदा थी। सबसे खराब जेड खान दुर्घटना 21 नवंबर, 2015 को हुई इस भूस्खलन में 110 प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई थी।

संसाधनों के प्रबंधन में कठिनाईयाँ

धर्माध्यक्ष तांग ने जोर देकर कहा, "म्यामांर सरकार को सभी शेयरधारकों के साथ स्थानीय लोगों के विकास और लाभ के मद्दे पर बातचीत करने की आवश्यकता है।" म्यामांर सेना, जो म्यांमार की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बनी हुई है, संसाधन साझा करने के लिए अन्य शेयरधारकों के साथ समझौता करने की आवश्यकता है। म्यांमार की सरकार को कंपनियों के साथ सेना संग घनिष्ठ संबंध होने की वजह से संसाधनों के प्रबंधन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

म्यांमार के उत्तरी सीमावर्ती इलाकों में दशकों से जातीय संघर्ष ने जेड, लकड़ी, एम्बर, सोना और जल विद्युत जैसे प्राकृतिक संसाधनों के लिए लड़ाई में भी वृद्धि हुई है। संसाधन समृद्ध कचिन राज्य, जहाँ 90 प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं, दशकों से एक संघर्ष के दौर से होकर गुजर रहे हैं। 2011 में झगड़ा शुरू होने के बाद से 100,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।

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28 July 2018, 15:47